भैरव नाथ लिरिक्स महत्त्व लाभ विधि Bhairav Nath Chalisa Lyrics
भैरव नाथ जी को शिव जी का पांचवा अवतार माना गया है। ऐसा माना जाता है कि भैरव नाथ जी की उत्पति शिव जी ने अपने रक्त से ही की थी। भैरव नाथ जी की पूजा करने से नकारात्मकता दूर होती है। सभी प्रकार की रोग कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। भैरव नाथ जी की पूजा करने से भूत-प्रेत, ऊपरी बाधा और नकारात्मक विचारों से होने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है। सकारात्मक विचार आते हैं। भैरव नाथ जी की सवारी काला कुकुर अथार्त काला कुत्ता है, इसलिए काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी हुई रोटी देने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं। उड़द तथा उड़द से बनी हुई चीजें भगवान भैरवनाथ को चढ़ाई जाती हैं। कलयुग में भगवान भैरवनाथ शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवताओं में से हैं। इनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां अपना नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा पाती हैं और व्यक्ति सुखी जीवन का निर्वहन करता है।
भैरव नाथ लिरिक्स महत्त्व लाभ विधि Bhairav Nath Chalisa Lyrics
भैरवनाथ चालीसादोहा
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ,
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ।
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल,
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल।
चौपाई
जय जय श्री काली के लाला,
जयति जयति काशी-कुतवाला।
जयति बटुक-भैरव भय हारी,
जयति काल-भैरव बलकारी।
जयति नाथ-भैरव विख्याता,
जयति सर्व-भैरव सुखदाता।
भैरव रूप कियो शिव धारण,
भव के भार उतारण कारण।
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी,
बटुक नाथ हो काल गंभीरा,
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा।
करत नीनहूं रूप प्रकाशा,
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा।
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन,
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन।
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं,
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं।
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय,
जय उन्नत हर उमा नन्द जय।
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय,
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय।
महा भीम भीषण शरीर जय,
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय।
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय,
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय।
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय,
गहत अनाथन नाथ हाथ जय।
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय,
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय।
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय,
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय।
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर,
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर।
करि मद पान शम्भु गुणगावत,
चौंसठ योगिन संग नचावत।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा,
काशी कोतवाल अड़बंगा।
देयं काल भैरव जब सोटा,
नसै पाप मोटा से मोटा।
जनकर निर्मल होय शरीरा,
मिटै सकल संकट भव पीरा।
श्री भैरव भूतों के राजा,
बाधा हरत करत शुभ काजा।
ऐलादी के दुख निवारयो,
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो।
सुन्दर दास सहित अनुरागा,
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा।
श्री भैरव जी की जय लेख्यो,
सकल कामना पूरण देख्यो।
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार,
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार।
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार,
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार।।
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ,
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ।
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल,
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल।
चौपाई
जय जय श्री काली के लाला,
जयति जयति काशी-कुतवाला।
जयति बटुक-भैरव भय हारी,
जयति काल-भैरव बलकारी।
जयति नाथ-भैरव विख्याता,
जयति सर्व-भैरव सुखदाता।
भैरव रूप कियो शिव धारण,
भव के भार उतारण कारण।
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी,
बटुक नाथ हो काल गंभीरा,
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा।
करत नीनहूं रूप प्रकाशा,
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा।
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन,
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन।
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं,
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं।
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय,
जय उन्नत हर उमा नन्द जय।
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय,
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय।
महा भीम भीषण शरीर जय,
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय।
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय,
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय।
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय,
गहत अनाथन नाथ हाथ जय।
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय,
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय।
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय,
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय।
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर,
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर।
करि मद पान शम्भु गुणगावत,
चौंसठ योगिन संग नचावत।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा,
काशी कोतवाल अड़बंगा।
देयं काल भैरव जब सोटा,
नसै पाप मोटा से मोटा।
जनकर निर्मल होय शरीरा,
मिटै सकल संकट भव पीरा।
श्री भैरव भूतों के राजा,
बाधा हरत करत शुभ काजा।
ऐलादी के दुख निवारयो,
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो।
सुन्दर दास सहित अनुरागा,
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा।
श्री भैरव जी की जय लेख्यो,
सकल कामना पूरण देख्यो।
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार,
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार।
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार,
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार।।
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥
जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥
जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥
जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥
जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥
जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥
जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥
भैरव नाथ जी के मंत्र प्रभावशाली मंत्र Bhairav Mantra
भैरव नाथ जी को प्रसन्न करने के लिए भैरव चालीसा का पाठ किया जाता है। चालीसा का पाठ करने के साथ ही हम उनके बीज मंत्रों का जाप करके भी उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
भैरव नाथ जी के प्रमुख बीज मंत्र Bhairav Beej Mantra
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। प्रत्येक मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें। भैरव नाथ जी की पूजा करने से व्यापार में लाभ, शत्रुओं से मुक्ति, सभी प्रकार के रोग और कष्टों से मुक्ति तथा व्यापार में समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
भैरव नाथ जी के प्रमुख बीज मंत्र Bhairav Beej Mantra
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। प्रत्येक मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें। भैरव नाथ जी की पूजा करने से व्यापार में लाभ, शत्रुओं से मुक्ति, सभी प्रकार के रोग और कष्टों से मुक्ति तथा व्यापार में समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग लिरिक्स हिंदी Bhajan/ Song Lyrics
भैरव लिरिक्स महत्त्व लाभ विधि Bhairav Chalisa Lyrics Benefits Hindi
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