गोगा चालीसा (जाहरवीर चालीसा) लिरिक्स पीडीऍफ़ Jaharveer Chalisa Lyrics in Hindi
राजस्थान में बहुत से लोक देवताओं को माना जाता है। जिनमें गोगाजी जिन्हें जाहर पीर के नाम से भी जाना जाता है का महत्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेडी नामक स्थान पर भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगाजी का बहुत बड़ा मेला लगता है। हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्म के लोग गोगाजी की पूजा करते हैं। गांव में ज्यादातर लोग गोगाजी को गोगाजी महाराज कहते हैं।
॥ दोहा ॥
सुवन केहरी जेवर सुत
महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला
विपत निवारण वीर॥
जय जय जय चौहान
वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर
आप बने सुर भूप॥
सुवन केहरी जेवर सुत
महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला
विपत निवारण वीर॥
जय जय जय चौहान
वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर
आप बने सुर भूप॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय जाहर रणधीरा,
पर दुःख भंजन बागड़ वीरा।
गुरु गोरख का है वरदानी,
जाहरवीर जोधा लासानी।
गौरवरण मुख महा विसाला,
माथे मुकट घुंघराले बाला।
कांधे धनुष गले तुलसी माला,
कमर कृपान रक्षा को डाला।
जन्में गूगावीर जग जाना,
ईसवी सन हजार दरमियाना।
बल सागर गुण निधि कुमारा,
दुखी जनों का बना सहारा।
बागड़ पति बाछला नन्दन,
जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।
जेवर राव का पुत्र कहा,
माता पिता के नाम बढ़ाये।
पूरन हुई कामना सारी,
जिसने विनती करी तुम्हारी।
सन्त उबारे असुर संहारे,
भक्तजनों के काज संवारे।
गूगावीर की अजब कहानी,
जिसको ब्याही श्रीयल रानी।
बाछल रानी जेवर राना,
महादुखी थे बिन सन्ताना।
भंगनि ने जब बोली मारी,
जीवन हो गया उनको भारी।
सूखा बाग पड़ा नौलक्खा,
देख-देख जग का मन दुक्खा।
कुछ दिन पीछे साधू आये,
चेला चेली संग में लाये।
जेवर राव ने कुंआ बनवाया,
उद्घाटन जब करना चाहा।
खारी नीर कुंए से निकला,
राजा रानी का मन पिघला।
रानी तब ज्योतिषी बुलवाया,
कौन पाप में पुत्र न पाया।
कोई उपाय हमको बतलाओ,
उन कहा गोरख गुरु मनाओ।
गुरु गोरख जो खुश हो जाई,
सन्तान पाना मुश्किल नाई।
बाछल रानी गोरख गुन गावे,
नेम धर्म को न बिसरावे।
करे तपस्या दिन और राती,
एक वक्त खाय रूखी चपाती।
कार्तिक माघ में करे स्नाना,
व्रत एकादसी नहीं भुलाना।
पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े,
दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।
चेलों के संग गोरख आये,
नौलखे में तम्बू तनवाये।
मीठा नीर कुंए का कीना,
सूखा बाग हरा कर दीना।
मेवा फल सब साधु खाए,
अपने गुरु के गुन को गाये।
औघड़ भिक्षा मांगने आए,
बाछल रानी ने दुख सुनाये।
औघड़ जान लियो मन माहीं,
तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।
रानी होवे मनसा पूरी,
गुरु शरण है बहुत जरूरी।
बारह बरस जपा गुरु नामा,
तब गोरख ने मन में जाना।
पुत्र देन की हामी भर ली,
पूरनमासी निश्चय कर ली।
काछल कपटिन गजब गुजारा,
धोखा गुरु संग किया करारा।
बाछल बनकर पुत्र पाया,
बहन का दरद जरा नहीं आया।
औघड़ गुरु को भेद बताया,
जब बाछल ने गूगल पाया।
कर परसादी दिया गूगल दाना,
अब तुम पुत्र जनो मरदाना।
नीली घोड़ी और पण्डतानी,
लूना दासी ने भी जानी।
रानी गूगल बाट के खाई,
सब बांझों की मिली दवाई।
नरसिंह पंडित नीला घोड़ा,
भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।
रूप विकट धर सब ही डरावे,
जाहरवीर के मन को भावे।
भादों कृष्ण जब नौमी आई,
जेवरराव के बजी बधाई।
विवाह हुआ गूगा भये राना,
संगलदीप में बने मेहमाना।
रानी श्रीयल संग परे फेरे,
जाहर राज बागड़ का करे।
अरजन सरजन काछल जने,
गूगा वीर से रहे वे तने।
दिल्ली गए लड़ने के काजा,
अनंग पाल चढ़े महाराजा।
उसने घेरी बागड़ सारी,
जाहरवीर न हिम्मत हारी।
अरजन सरजन जान से मारे,
अनंगपाल ने शस्त्र डारे।
चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया,
सिंह भवन माड़ी बनवाया।
उसी में गूगावीर समाये,
गोरख टीला धूनी रमाये।
पुण्य वान सेवक वहाँ आये,
तन मन धन से सेवा लाए।
मन्सा पूरी उनकी होई,
गूगावीर को सुमरे जोई।
चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा,
सारे कष्ट हरे जगदीसा।
दूध पूत उन्हें दे विधाता,
कृपा करे गुरु गोरखनाथ।
जय जय जय जाहर रणधीरा,
पर दुःख भंजन बागड़ वीरा।
गुरु गोरख का है वरदानी,
जाहरवीर जोधा लासानी।
गौरवरण मुख महा विसाला,
माथे मुकट घुंघराले बाला।
कांधे धनुष गले तुलसी माला,
कमर कृपान रक्षा को डाला।
जन्में गूगावीर जग जाना,
ईसवी सन हजार दरमियाना।
बल सागर गुण निधि कुमारा,
दुखी जनों का बना सहारा।
बागड़ पति बाछला नन्दन,
जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।
जेवर राव का पुत्र कहा,
माता पिता के नाम बढ़ाये।
पूरन हुई कामना सारी,
जिसने विनती करी तुम्हारी।
सन्त उबारे असुर संहारे,
भक्तजनों के काज संवारे।
गूगावीर की अजब कहानी,
जिसको ब्याही श्रीयल रानी।
बाछल रानी जेवर राना,
महादुखी थे बिन सन्ताना।
भंगनि ने जब बोली मारी,
जीवन हो गया उनको भारी।
सूखा बाग पड़ा नौलक्खा,
देख-देख जग का मन दुक्खा।
कुछ दिन पीछे साधू आये,
चेला चेली संग में लाये।
जेवर राव ने कुंआ बनवाया,
उद्घाटन जब करना चाहा।
खारी नीर कुंए से निकला,
राजा रानी का मन पिघला।
रानी तब ज्योतिषी बुलवाया,
कौन पाप में पुत्र न पाया।
कोई उपाय हमको बतलाओ,
उन कहा गोरख गुरु मनाओ।
गुरु गोरख जो खुश हो जाई,
सन्तान पाना मुश्किल नाई।
बाछल रानी गोरख गुन गावे,
नेम धर्म को न बिसरावे।
करे तपस्या दिन और राती,
एक वक्त खाय रूखी चपाती।
कार्तिक माघ में करे स्नाना,
व्रत एकादसी नहीं भुलाना।
पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े,
दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।
चेलों के संग गोरख आये,
नौलखे में तम्बू तनवाये।
मीठा नीर कुंए का कीना,
सूखा बाग हरा कर दीना।
मेवा फल सब साधु खाए,
अपने गुरु के गुन को गाये।
औघड़ भिक्षा मांगने आए,
बाछल रानी ने दुख सुनाये।
औघड़ जान लियो मन माहीं,
तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।
रानी होवे मनसा पूरी,
गुरु शरण है बहुत जरूरी।
बारह बरस जपा गुरु नामा,
तब गोरख ने मन में जाना।
पुत्र देन की हामी भर ली,
पूरनमासी निश्चय कर ली।
काछल कपटिन गजब गुजारा,
धोखा गुरु संग किया करारा।
बाछल बनकर पुत्र पाया,
बहन का दरद जरा नहीं आया।
औघड़ गुरु को भेद बताया,
जब बाछल ने गूगल पाया।
कर परसादी दिया गूगल दाना,
अब तुम पुत्र जनो मरदाना।
नीली घोड़ी और पण्डतानी,
लूना दासी ने भी जानी।
रानी गूगल बाट के खाई,
सब बांझों की मिली दवाई।
नरसिंह पंडित नीला घोड़ा,
भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।
रूप विकट धर सब ही डरावे,
जाहरवीर के मन को भावे।
भादों कृष्ण जब नौमी आई,
जेवरराव के बजी बधाई।
विवाह हुआ गूगा भये राना,
संगलदीप में बने मेहमाना।
रानी श्रीयल संग परे फेरे,
जाहर राज बागड़ का करे।
अरजन सरजन काछल जने,
गूगा वीर से रहे वे तने।
दिल्ली गए लड़ने के काजा,
अनंग पाल चढ़े महाराजा।
उसने घेरी बागड़ सारी,
जाहरवीर न हिम्मत हारी।
अरजन सरजन जान से मारे,
अनंगपाल ने शस्त्र डारे।
चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया,
सिंह भवन माड़ी बनवाया।
उसी में गूगावीर समाये,
गोरख टीला धूनी रमाये।
पुण्य वान सेवक वहाँ आये,
तन मन धन से सेवा लाए।
मन्सा पूरी उनकी होई,
गूगावीर को सुमरे जोई।
चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा,
सारे कष्ट हरे जगदीसा।
दूध पूत उन्हें दे विधाता,
कृपा करे गुरु गोरखनाथ।
गोगा जी का जन्म कब और कहां हुआ
गोगाजी जिन्हें जाहर पीर भी कहा जाता है, का जन्म विक्रम संवत 1003 में ददरेवा गांव (चूरु),राजस्थान में हुआ था। गोगा जी का जन्म राजस्थान के चुरू जिले में चौहान वंश के शासक जेवर सिंह की पत्नी बाछल देवी के गर्भ से हुआ था। लोक मान्यता के अनुसार बाछल देवी को संतान नहीं थी, तब गोरखनाथ जी ने उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था। गोरखनाथ जी की कृपा से ही गोगा जी का जन्म हुआ था।
गोगाजी/जाहर पीर के अन्य नाम
गोगाजी/जाहर पीर के अन्य नाम
गोगाजी को उनके भक्त गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मण्डलिक व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। गोगा जी को सांप के देवताओं के रूप में जाना जाता है।
हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतिक के रूप में गोगाजी की भूमिका
गोगा जी को हिंदू और मुस्लिम समाज के लोग पूजते हैं। इसलिए गोगा जी को हिंदू- मुस्लिम एकता का प्रतीक भी माना गया है। मध्यकालीन परिस्थितियों में गोगा जी महाराज हिंदू, मुस्लिम और सिख संप्रदाय के लोगों के लिए एक आदर्श लोकदेवता के रूप में लोकप्रिय हुए। हनुमानगढ़ जिले के नोहर तहसील में गोगा जी का पवित्र धाम गोगा मेड़ी स्थित है। जहां गोगा जी की समाधि है। यह स्थान सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है। यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग पूजा करते हैं और दोनों ही धर्म के पुजारी रहते हैं। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक गोगामेडी में गोरखनाथ जी की समाधि और गोरखनाथ जी के टीले पर आकर भक्त अपना मत्था टेकते हैं और गोगा जी की पूजा करते हैं। प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगाजी के जी की समाधि पर पूजा करने आते हैं। गोगाजी को शौर्य, धर्म, साहस, पराक्रम, बुद्धि बल और उच्च आदर्शों का प्रतीक माना जाता है। इनके उच्च आदर्शों के कारण राजस्थान में लगभग सभी गांवों में गोगा वीर जी के मंदिर होते हैं। गोगाजी के प्रति अपार भक्ति होने के कारण हर गांव में गोगा जी के मंदिर स्थित है। इस गोगा जी की जन्म स्थली ददरेवा में भाद्रपद मास के मेले में राजस्थान से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग पूजा करने आते हैं। राजस्थान के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और जम्मू कश्मीर से भी लोग इनकी पूजा करने आतें हैं। गोरखनाथ जी के समाधि और गोरखनाथ जी के टीले पर भी मत्था टेकते हैं।
जाहरवीर गोगा जी चालीसा
जाहरवीर गोगा जी का चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सर्प से कोई नुकसान नहीं होता है।
गोगा जी का चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
चालीसा का पाठ करने से एकाग्रता बढ़ती है।
गोगा जी का चालीसा पाठ कैसे एवं कितनी बार करें
सर्प से कोई नुकसान नहीं होता है।
गोगा जी का चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
चालीसा का पाठ करने से एकाग्रता बढ़ती है।
गोगा जी का चालीसा पाठ कैसे एवं कितनी बार करें
गोगा जी का चालीसा का पाठ संध्या समय उनके स्थान पर जाकर करें। राजस्थान में हर गांव में गोगा जी का स्थान होता है। अगर यह संभव ना हो तो आप घर पर ही शाम के समय साफ एवं स्वच्छ जगह पर भी चालीसा का पाठ कर सकते हैं। चालीसा का पाठ करते समय सफेद आसन पर बैठे। चालीसा का पाठ 41 दिन तक 41 बार करें। शाम के समय चालीसा का पाठ अधिक फलदाई होता है। चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। मन का डर दूर होकर हिम्मत आती है।
जाहरवीर गोगा जी की पूजा करने के फायदे
- गोगा जी की पूजा करने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है।
- गोगा जी के आशीर्वाद से प्राप्त संतान साहसी, बलशाली, वीर, पराक्रमी और आदर्श विचारों वाली होती है।
- गोगाजी की पूजा करने से सर्प का भय नहीं रहता है।गोगाजी को सांपों का देवता माना जाता है। इसलिए यह माना जाता है कि गोगा जी अपने भक्तों को कभी भी सर्प से नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
- गोगा जी की पूजा करने वाले प्रकृति प्रेमी होते हैं। गोगा जी की पूजा करने से व्यक्ति निडर और आत्मविश्वासी बनता है।
- गोगा जी की पूजा करने से व्यक्ति बुद्धिमान और तेज दिमाग वाला होता है।
- गोगा जी की पूजा करने से मन का डर और भय दूर होता है।
- यह भी माना जाता है की गोगा जी की पूजा करने वाले इंसान को भूत प्रेत से का भय नहीं लगता है।
जहारवीर गोगा महामंत्र:
ॐ गुरु जी आदेश सत नमो आदेश
ध्यान धरु गोरख श्री चरणोँ का
करु मे तेरा वन्दन गोगा,
गुरु गोरख के चेले तुम,
नागो के तुम हो राजा,
वीरो मे हो तुम वीर,
माँ बाछल जब गोरख शारण जाई,
तब गोरख से वो गुगलपाई,
भादोँ कृष्ण जब नोमी आई
ददरेवा मे तुम हो प्रकटे नाम
तुम्हारा तही प्रकटवीर कहावे,
रुप म्हारा लख्या ना जावे,
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा,
गले तुम्हारेतुलसी माला,
हाथमे है बरछी भाला,
नीले की तुम करो सवारी,
रानी सिरियल संग ब्याह रचावे,
अरजन सरजन जान से मारे,
पृथ्वी मे हो तुम समाऐ,
गाऊऐ तुम्हे अपना दुध पिलावे,
गोरख टिल्ले मेँ तुम धुनी रमाऐ,
भुत पिशाच यक्षनि डाकनि कापे
जब जब तेरा नाम है जापे,
गुरु गोरखकी तुम्हे दुहाई
करो कृपा मृझ पे हे गुगा साई।
इति जहारवीर गोगा महामंत्र
सम्पर्ण होया
जय गोगाजी महाराज की
ॐ गुरु जी आदेश सत नमो आदेश
ध्यान धरु गोरख श्री चरणोँ का
करु मे तेरा वन्दन गोगा,
गुरु गोरख के चेले तुम,
नागो के तुम हो राजा,
वीरो मे हो तुम वीर,
माँ बाछल जब गोरख शारण जाई,
तब गोरख से वो गुगलपाई,
भादोँ कृष्ण जब नोमी आई
ददरेवा मे तुम हो प्रकटे नाम
तुम्हारा तही प्रकटवीर कहावे,
रुप म्हारा लख्या ना जावे,
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा,
गले तुम्हारेतुलसी माला,
हाथमे है बरछी भाला,
नीले की तुम करो सवारी,
रानी सिरियल संग ब्याह रचावे,
अरजन सरजन जान से मारे,
पृथ्वी मे हो तुम समाऐ,
गाऊऐ तुम्हे अपना दुध पिलावे,
गोरख टिल्ले मेँ तुम धुनी रमाऐ,
भुत पिशाच यक्षनि डाकनि कापे
जब जब तेरा नाम है जापे,
गुरु गोरखकी तुम्हे दुहाई
करो कृपा मृझ पे हे गुगा साई।
इति जहारवीर गोगा महामंत्र
सम्पर्ण होया
जय गोगाजी महाराज की
भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग लिरिक्स हिंदी Bhajan/ Song Lyrics
जाहरवीर चालीसा I Jaharveer Goga Ji Chalisa with Lyrics I जय जय जय जाहर रणधीरा I Arun Prajapati
दोहा
सुवन केहरी जेवर सुत , महाबली रणधीर
बंदौ सुत रानी बाछला , विपत निवारण वीर
जय जय जय चौहान वंश , गोगा वीर अनूप
अनंग पाल को जीतकर , आप बने सुर भूप
चौपाई
जय जय जय जाहर रणधीरा , पर दुख भंजन बागड़ वीरा
गुरु गोरख का है वरदानी , जाहरवीर जोधा लासानी
गौरवरण मुख महाविशाला , माथे मुकुट घुँघराले बाला
काँधे धनुष गले तुलसी माला , कमर कृपाण रक्षा को डाला
जन्मे गोगावीर जग जाना , ईस्वी सन हजार दरमियाना
बल सागर गुण निधि कुमारा , दुखी जनों का बना सहारा
बागड़ पति बाछल नन्दन , जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन
जेवर राव के पुत्र कहाये , माता पिता के नाम बढ़ाये
पूरण हुई कामना सारी , जिसने विनती करी तुम्हारी
संत उबार असुर संहारे , भक्त जनों के काज सँवारे
गोगावीर की अजब कहानी , जिसको ब्याही सिरियल रानी
बाछल रानी जेवर राणा , महादुखी थे बिन संताना
भंगिन ने जब बोली मारी , जीवन हो गया उनको भारी
सूखा बाग पड़ा नौ लक्खा , देख देख जग को मन दुखा
कुछ दिन पीछे साधु आये , चेला चेली संग में लाये
जेवर राव ने कुआ बनवाया , उदघाटन जब करना चाहा
खारी नीर कूप से निकला , राजा रानी का मन पिघला
रानी तब ज्योतिष बुलवाये , कौन पाप हम पुत्र ना पाये
कोई उपाय हमें बताओ , उन कहा गोरख गुरु मनाओ
गुरु गोरख जो खुश हो जाये , संतान पाना मुश्किल नाये
बाछल रानी गोरख गुण गावे , नेम धर्म को ना बिसरावे
करती तपस्या दिन और राती , एक वक़्त खाये रूखी चपाती
कार्तिक मास में करे स्नाना , व्रत एकादशी ना ही भूलाना
पूर्णमासी व्रत नहीं छोड़े , दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े
चेलों के संग गोरख आये , नौलख में तम्बू तनवाये
मीठा नीर कूप का कीना , सूखा बाग हरा कर दीना
मेवा फल सब साधु खाये , अपने गुरु के गुण को गाये
औघड़ भिक्षा मांगने आये , बाछल रानी दुखड़े सुनाये
औघड़ जान लियो मनमाही , तप बल से कुछ मुश्किल नाही
रानी होवे मंशा पूरी , गुरु शरण है बहुत ज़रूरी
बारह बरस जपा गुरु नामा , तब गोरख ने मन में जाना
पुत्र देन की हामी भर ली , पूरणमासी निश्चय कर ली
काछल कपटिन गजब गुजारा , धोखा गुरु संग किया करारा
बाछल बनकर पुत्र है पाया , बहन का दर्द ज़रा नहीं आया
औघड़ गुरु को भेद बताया , तब बाछल ने गूगल पाया
कर प्रसादी दिया गूगल दाना , अब तुम पुत्र जनो मर्दाना
नीली घोड़ी और पंडितानी , लूना दासी ने भी जानी
रानी गूगल बाँट के खाई , सब बांझो को मिली है दवाई
नरसिंह पंडित नीला घोड़ा , कोतवाल भज्जु जना रणधीरा
रूप विकट धर सब ही डरावै , जाहरवीर के मन को भावै
भादों कृष्ण जब नोमी आई , जेवर राव के बाजी बधाई
विवाह हुआ गोगा भये राणा , संगल दीप में बने मेहमाना
रानी सिरियल संग फिरे फेरे , जाहर राज बागड़ का करे रे
अरजन सरजन काछल जने , गोगावीर से रहे वो तने
दिल्ली गये लड़ने के काजा , अनंगपाल जो चढ़े महाराजा
उसने घेरी बागड़ सारी , जाहरवीर ना हिम्मत हारी
अरजन सरजन जान से मारे , अनंगपाल ने शस्त्र ही डारे
चरण पकड़कर पिंड छुड़ाया , सिंह भवन मांडी बनवाया
उसमे ही गोगावीर समाये , गोरख टीला धूनी रमाये
पुण्यवान सेवक वहाँ आये , तन मन धन से सेवा लाये
मनसा पूरी उनकी होई , गोगावीर को सुमिरे जोई
चालीस दिन पढे जो जाहर चालीसा , सारे कष्ट हरे जगदीशा
दूध पूत उन को दे विधाता , कृपा करे गुरु गोरखनाथा
Doha
Suvan Kehari Jevar Sut , Mahaabali Ranadhir
Bandau Sut Raani Baachhala , Vipat Nivaaran Vir
Jay Jay Jay Chauhaan Vansh , Goga Vir Anup
Anang Paal Ko Jitakar , Aap Bane Sur Bhup
Chaupai
Jay Jay Jay Jaahar Ranadhira , Par Dukh Bhanjan Baagad Vira
Guru Gorakh Ka Hai Varadaani , Jaaharavir Jodha Laasaani
Gauravaran Mukh Mahaavishaala , Maathe Mukut Ghungharaale Baala
Kaandhe Dhanush Gale Tulasi Maala , Kamar Krpaan Raksha Ko Daala
सुवन केहरी जेवर सुत , महाबली रणधीर
बंदौ सुत रानी बाछला , विपत निवारण वीर
जय जय जय चौहान वंश , गोगा वीर अनूप
अनंग पाल को जीतकर , आप बने सुर भूप
चौपाई
जय जय जय जाहर रणधीरा , पर दुख भंजन बागड़ वीरा
गुरु गोरख का है वरदानी , जाहरवीर जोधा लासानी
गौरवरण मुख महाविशाला , माथे मुकुट घुँघराले बाला
काँधे धनुष गले तुलसी माला , कमर कृपाण रक्षा को डाला
जन्मे गोगावीर जग जाना , ईस्वी सन हजार दरमियाना
बल सागर गुण निधि कुमारा , दुखी जनों का बना सहारा
बागड़ पति बाछल नन्दन , जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन
जेवर राव के पुत्र कहाये , माता पिता के नाम बढ़ाये
पूरण हुई कामना सारी , जिसने विनती करी तुम्हारी
संत उबार असुर संहारे , भक्त जनों के काज सँवारे
गोगावीर की अजब कहानी , जिसको ब्याही सिरियल रानी
बाछल रानी जेवर राणा , महादुखी थे बिन संताना
भंगिन ने जब बोली मारी , जीवन हो गया उनको भारी
सूखा बाग पड़ा नौ लक्खा , देख देख जग को मन दुखा
कुछ दिन पीछे साधु आये , चेला चेली संग में लाये
जेवर राव ने कुआ बनवाया , उदघाटन जब करना चाहा
खारी नीर कूप से निकला , राजा रानी का मन पिघला
रानी तब ज्योतिष बुलवाये , कौन पाप हम पुत्र ना पाये
कोई उपाय हमें बताओ , उन कहा गोरख गुरु मनाओ
गुरु गोरख जो खुश हो जाये , संतान पाना मुश्किल नाये
बाछल रानी गोरख गुण गावे , नेम धर्म को ना बिसरावे
करती तपस्या दिन और राती , एक वक़्त खाये रूखी चपाती
कार्तिक मास में करे स्नाना , व्रत एकादशी ना ही भूलाना
पूर्णमासी व्रत नहीं छोड़े , दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े
चेलों के संग गोरख आये , नौलख में तम्बू तनवाये
मीठा नीर कूप का कीना , सूखा बाग हरा कर दीना
मेवा फल सब साधु खाये , अपने गुरु के गुण को गाये
औघड़ भिक्षा मांगने आये , बाछल रानी दुखड़े सुनाये
औघड़ जान लियो मनमाही , तप बल से कुछ मुश्किल नाही
रानी होवे मंशा पूरी , गुरु शरण है बहुत ज़रूरी
बारह बरस जपा गुरु नामा , तब गोरख ने मन में जाना
पुत्र देन की हामी भर ली , पूरणमासी निश्चय कर ली
काछल कपटिन गजब गुजारा , धोखा गुरु संग किया करारा
बाछल बनकर पुत्र है पाया , बहन का दर्द ज़रा नहीं आया
औघड़ गुरु को भेद बताया , तब बाछल ने गूगल पाया
कर प्रसादी दिया गूगल दाना , अब तुम पुत्र जनो मर्दाना
नीली घोड़ी और पंडितानी , लूना दासी ने भी जानी
रानी गूगल बाँट के खाई , सब बांझो को मिली है दवाई
नरसिंह पंडित नीला घोड़ा , कोतवाल भज्जु जना रणधीरा
रूप विकट धर सब ही डरावै , जाहरवीर के मन को भावै
भादों कृष्ण जब नोमी आई , जेवर राव के बाजी बधाई
विवाह हुआ गोगा भये राणा , संगल दीप में बने मेहमाना
रानी सिरियल संग फिरे फेरे , जाहर राज बागड़ का करे रे
अरजन सरजन काछल जने , गोगावीर से रहे वो तने
दिल्ली गये लड़ने के काजा , अनंगपाल जो चढ़े महाराजा
उसने घेरी बागड़ सारी , जाहरवीर ना हिम्मत हारी
अरजन सरजन जान से मारे , अनंगपाल ने शस्त्र ही डारे
चरण पकड़कर पिंड छुड़ाया , सिंह भवन मांडी बनवाया
उसमे ही गोगावीर समाये , गोरख टीला धूनी रमाये
पुण्यवान सेवक वहाँ आये , तन मन धन से सेवा लाये
मनसा पूरी उनकी होई , गोगावीर को सुमिरे जोई
चालीस दिन पढे जो जाहर चालीसा , सारे कष्ट हरे जगदीशा
दूध पूत उन को दे विधाता , कृपा करे गुरु गोरखनाथा
Doha
Suvan Kehari Jevar Sut , Mahaabali Ranadhir
Bandau Sut Raani Baachhala , Vipat Nivaaran Vir
Jay Jay Jay Chauhaan Vansh , Goga Vir Anup
Anang Paal Ko Jitakar , Aap Bane Sur Bhup
Chaupai
Jay Jay Jay Jaahar Ranadhira , Par Dukh Bhanjan Baagad Vira
Guru Gorakh Ka Hai Varadaani , Jaaharavir Jodha Laasaani
Gauravaran Mukh Mahaavishaala , Maathe Mukut Ghungharaale Baala
Kaandhe Dhanush Gale Tulasi Maala , Kamar Krpaan Raksha Ko Daala
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
जाहरवीर चालीसा I Jaharveer Goga Ji Chalisa with Lyrics I जय जय जय जाहर रणधीरा I Arun Prajapati Singer - Arun Prajapati
Lyrics - Traditional
Music Composer - Dayanand Prajapati
Music Arranger - Tarun Arun Prajapati
Video - Pramod Sharma
Presented By - KIRTAN YUG