कागा सब तन खाइयो के चुन चुन खाइयो माँस
कागा सब तन खाइयो के चुन चुन खाइयो माँस लिरिक्स
यह गीत पिया मिलन की आस से लिया गया है जो वर्ष १९६१ में रिलीज फिल्म है। इस फिल्म/मूवी के निर्देशक एस एन त्रिपाठी हैं। इस फिल्म के मुख्य कलाकार मनोज कुमार हैं साथ ही अमिता ने इस फिल्म में अभिनय किया है। इस फिल्म को जे. कश्यप जी ने लिखा है।
कागा सब तन खाइयो,
के चुन चुन खाइयो माँस,
दो नैना मत खाइयो,
मोहे पिया मिलन की आस।
पिया मिलन की आस रै,
मोहे पिया मिलन की आस रै,
पिया मिलन की आस।
बाट तकती एक विरहन,
मन के दीप जलाये,
बुझे ना बाती प्राण बाती,
जाने वो कब आए,
उनके दर्शन बिन ना निकले,
उनके दर्शन बिन ना निकले,
तन से बैरण साँस रे,
पिया मिलन की आस रे,
मोहे पिया मिलन की आस रे,
पिया मिलन की आस,
के चुन चुन खाइयो माँस,
दो नैना मत खाइयो,
मोहे पिया मिलन की आस।
काग (कौआ) तुम मेरे सारे शरीर के मांस को खा लेना, चुन चुन के मांस खा लेना, लेकिन तुम मेरे दो नैना को मत खाना, क्योंकि मुझे मेरे प्रियतम से मिलने की आस है।
पिया मिलन की आस रै,
मोहे पिया मिलन की आस रै,
पिया मिलन की आस।
मोहे-मुझे। मुझे अपने प्रियतम से मिलने की आशा (Hope) है।
बाट तकती एक विरहन,
मन के दीप जलाये,
बुझे ना बाती प्राण बाती,
जाने वो कब आए,
उनके दर्शन बिन ना निकले,
उनके दर्शन बिन ना निकले,
तन से बैरण साँस रे,
पिया मिलन की आस रे,
मोहे पिया मिलन की आस रे,
पिया मिलन की आस,
बाट -राह देखना, इंतज़ार करना। विरह (प्रियतम से पृथक होने की पीड़ा) में मेरी आत्मा तड़प रही है। ईश्वर से कामना है की मेरे प्रियतम को देखे बिना कहीं मेरे प्राण ना निकल जाएं। मुझे पिया मिलन की आस है।
जब से बिछड़े ऐसे बिछड़े,
नैनन में नींद न आये,
याद जग की मैं सुलगती,
ऐसी आग लगाए,
सौ सौ सावन बरस गए,
सौ सौ सावन बरस गए,
पर बुझी ना मन की प्यास रे,
पिया मिलन की आस रे,
मोहे पिया मिलन की आस रे,
पिया मिलन की आस।
भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग लिरिक्स हिंदी Bhajan/ Song Lyrics
Piya Milan Ki Aas - Piya Milan Ki Aas 1961 - Lata Mangeshkar
भक्त का मन ऐसी आशा से भरा है, जो अपने प्रिय के दर्शन के बिना अधूरा सा लगता है। जैसे कौआ शरीर को खा ले, पर आँखों को छोड़ दे, क्योंकि उनमें प्रियतम को देखने की उम्मीद बसी है। ये प्रेम इतना गहरा है कि हर साँस उसी के इंतज़ार में चलती है। विरहन की राह तकने वाली आँखें मन में एक दीप जलाए रखती हैं, जो प्रिय के आने की आस में टिमटिमाता रहता है। ये दीया प्राणों की बाती है, जो तब तक बुझने नहीं देना, जब तक प्रियतम का दर्शन न हो जाए। ये तड़प दिखाती है कि सच्चा प्रेम मन को हर हाल में जोड़े रखता है, चाहे कितना भी समय बीत जाए।
प्रियतम से बिछड़ने का दर्द ऐसा है कि नींद आँखों से कोसों दूर चली गई। हर पल उनकी याद मन को सुलगाती है, जैसे कोई आग दिल में धधक रही हो। सावन की बारिश भी इस प्यास को नहीं बुझा पाती, क्योंकि ये प्यास केवल प्रिय के मिलन से ही मिट सकती है। ये दर्शाता है कि प्रेम की आग सारी दुनिया की चीज़ों से बड़ी है।
जीवन को संग्राम बताकर भजन ये कहता है कि प्रेम की राह आसान नहीं, लेकिन उसमें डूबा मन हर दुख को सह लेता है। चाहे कोई राम कहे या श्याम, प्रियतम का नाम ही मन को ठंडक देता है। ये आस और विश्वास ही भक्त को हर मुश्किल में संभाले रखता है, जैसे कोई अनमोल धागा जो टूटने न दे।
प्रियतम से बिछड़ने का दर्द ऐसा है कि नींद आँखों से कोसों दूर चली गई। हर पल उनकी याद मन को सुलगाती है, जैसे कोई आग दिल में धधक रही हो। सावन की बारिश भी इस प्यास को नहीं बुझा पाती, क्योंकि ये प्यास केवल प्रिय के मिलन से ही मिट सकती है। ये दर्शाता है कि प्रेम की आग सारी दुनिया की चीज़ों से बड़ी है।
जीवन को संग्राम बताकर भजन ये कहता है कि प्रेम की राह आसान नहीं, लेकिन उसमें डूबा मन हर दुख को सह लेता है। चाहे कोई राम कहे या श्याम, प्रियतम का नाम ही मन को ठंडक देता है। ये आस और विश्वास ही भक्त को हर मुश्किल में संभाले रखता है, जैसे कोई अनमोल धागा जो टूटने न दे।
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