विष्णु चालीसा लिरिक्स फायदे हिंदी Vishnu Chalisa Lyrics Benefits pdf, Vishnu Chalisa Benefits in Hindi
श्री हरि विष्णु से ही संसार का अस्तित्व है। विष्णु जी को श्री हरि भी कहा जाता है। क्योंकि धरती के पालनहार विष्णु जी ही हैं। संसार के पालन करता, सब कुछ कर्ता-धर्ता श्री विष्णु जी ही है। विष्णु जी की कृपा प्राप्त व्यक्ति को किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। विष्णु जी पूरी पृथ्वी के पालनहार है। जो व्यक्ति विष्णु जी की पूजा करता है, विष्णु जी की विशेष कृपा का पात्र होता है। विष्णु जी की पूजा गुरुवार को की जाती है।
दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।
चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।
चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबंध उन्हें ढूँढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबंध उन्हें ढूँढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥
गुरुवार को विष्णु चालीसा का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें।
विष्णु जी के अन्य मंत्र Vishnu Mantra
- सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें।
- चालीसा का पाठ करते समय पीले आसन पर विराजमान हो।
- विष्णु चालीसा का पाठ करते समय विष्णु जी को पीले पुष्प अर्पित करें।
- विष्णु चालीसा चालीसा का पाठ गुरुवार से प्रारंभ करें।
- विष्णु चालीसा का पाठ करते समय विष्णु जी की तस्वीर के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं।
- तांबे के कलश में पानी भरकर रखें और उसमें चुटकी भर हल्दी डालकर पूजा करें। पूजा संपन्न होने पर कलश के पानी का छिड़काव पूरे घर में करें।
- पूजा संपन्न होने पर केले के पौधे में पानी अर्पित करें।
- पूजा में विष्णु जी को केले चढ़ाएं।
- विष्णु जी को चढ़ाएं केले व प्रसाद स्वयं ग्रहण ना करें, किसी छोटे बच्चे को प्रसाद दे दें।
विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa : विष्णु चालीसा का पाठ करने से होने वाले फायदे Benefits of Vishnu Chalisa Hindi
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
- घर में संपन्नता रहती है।
- विष्णु जी की कृपा से धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
- विष्णु जी का चालीसा का पाठ करने से घर में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याओं का निराकरण हो जाता है।
- विष्णु जी चालीसा का पाठ करने से घर में आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं का निराकरण होता है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति बुद्धिमान होता है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से घर में किसी प्रकार का भय नहीं होता है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से हर कार्य में कुशलता एवं सफलता प्राप्त होती है।
- विष्णु चालीसा पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति सफलता की ऊंचाइयों को छूता है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति ख्याति प्राप्त करता है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को समाज में मान, सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- विष्णु चालीसा का पाठ करने के अलावा विष्णु जी के मंत्र का जाप भी किया जा सकता है। विष्णु जी के मंत्र का जाप करने से घर में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती हैं।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवाय।
- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
- ॐ विष्णवे नम:।
- ॐ हूं विष्णवे नम:।
- ॐ नमो नारायण।
- श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ओउम भूरिदा देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
विष्णु जी के अन्य मंत्र Vishnu Mantra
- ॐ अं वासुदेवाय नम:।
- ॐ आं संकर्षणाय नम:।
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।
- ॐ नारायणाय नम:।
भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग लिरिक्स हिंदी Bhajan/ Song Lyrics
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Doha
Vishnu Sunie Vinay Sevak Ki Chitalaay.
Kirat Kuchh Varnan Karun Dijai Gyaan Bataay.
Chaupai
Namo Vishnu Bhagavaan Kharaari.
Kasht Nashaavan Akhil Bihaari.
Prabal Jagat Mein Shakti Tumhaari.
Tribhuvan Phail Rahi Ujiyaari.
Sundar Rup Manohar Surat.
Saral Svabhaav Mohani Murat.
Tan Par Pitaambar Ati Sohat.
Baijanti Maala Man Mohat.
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Kirat Kuchh Varnan Karun Dijai Gyaan Bataay.
Chaupai
Namo Vishnu Bhagavaan Kharaari.
Kasht Nashaavan Akhil Bihaari.
Prabal Jagat Mein Shakti Tumhaari.
Tribhuvan Phail Rahi Ujiyaari.
Sundar Rup Manohar Surat.
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