गुरु ब्रहस्पति देव भाग्य के देव है। जिसकी कुंडली में ब्रहस्पति देव की स्थिति अच्छी होती है उनका भाग्योदय जल्दी हो जाता है। ब्रहस्पति देव जी का चालीसा का पाठ करने से सुख- समृद्धि में वृद्धि होती है। ब्रहस्पति देव की पूजा से बुद्धि, समझ, ज्ञान, विवेक और धन की प्राप्ति होती है। ब्रहस्पति देव के चालीसा का पाठ करके व्यक्ति खूब तरक्की करता है। ब्रहस्पति देव की पूजा से घर में सुख- समृद्धि के साथ साथ घर में संपन्नता का भी वास होता है।
||दोहा|| प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान श्रीगणेश शारदसहित, बसों ह्रदय में आन अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान दोषों से मैं भरा हुआ हूं तुम हो कृपा निधान।
||चौपाई|| जय नारायण जय निखिलेशवर, विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता , भारत भू के प्रेम प्रेनता जब जब हुई धरम की हानि, सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी सच्चिदानंद गुरु के प्यारे,सिद्धाश्रम से आप पधारे उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा, ओय करन धरम की रक्षा अबकी बार आपकी बारी ,त्राहि त्राहि है धरा पुकारी मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा, मुल्तानचंद पिता कर नामा
शेषशायी सपने में आये, माता को दर्शन दिखलाये रुपादेवि मातु अति धार्मिक, जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की, पूजा करते आराधक की जन्म वृतन्त सुनाये नवीना, मंत्र नारायण नाम करि दीना नाम नारायण भव भय हारी, सिद्ध योगी मानव तन धारी ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित, आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित एक बार संग सखा भवन में, करि स्नान लगे चिन्तन में चिन्तन करत समाधि लागी, सुध-बुध हीन भये अनुरागी पूर्ण करि संसार की रीती, शंकर जैसे बने गृहस्थी अदभुत संगम प्रभु माया का, अवलोकन है विधि छाया का युग-युग से भव बंधन रीती, जंहा नारायण वाही भगवती सांसारिक मन हुए अति ग्लानी, तब हिमगिरी गमन की ठानी अठारह वर्ष हिमालय घूमे, सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन, करम भूमि आये नारायण धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी, जय गुरुदेव साधना पूंजी सर्व धर्महित शिविर पुरोधा, कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा, भारत का भौतिक उजियारा एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता, सीधी साधक विश्व विजेता प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता, भुत-भविष्य के आप विधाता आयुर्वेद ज्योतिष के सागर, षोडश कला युक्त परमेश्वर रतन पारखी विघन हरंता, सन्यासी अनन्यतम संता अदभुत चमत्कार दिखलाया, पारद का शिवलिंग बनाया वेद पुराण शास्त्र सब गाते, पारेश्वर दुर्लभ कहलाते पूजा कर नित ध्यान लगावे, वो नर सिद्धाश्रम में जावे
Chalisa Lyrics in Hindi
चारो वेद कंठ में धारे, पूजनीय जन-जन के प्यारे चिन्तन करत मंत्र जब गायें,विश्वामित्र वशिष्ठ बुलायें मंत्र नमो नारायण सांचा, ध्यानत भागत भुत-पिशाचा प्रातः कल करहि निखिलायन, मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन निर्मल मन से जो भी ध्यावे, रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे पथ करही नित जो चालीसा, शांति प्रदान करहि योगिसा अष्टोत्तर शत पाठ करत जो, सर्व सिद्धिया पावत जन सो श्री गुरु चरण की धारा. सिद्धाश्रम साधक परिवारा जय-जय-जय आनंद के स्वामी, बारम्बार नमामी नमामी
ब्रहस्पति देव का चालीसा पढ़ते समय ध्यान रखने वाली बातें Brahaspti Dev Chalisa
बृहस्पति देव का चालीसा का पाठ पीले आसन पर बैठकर करना चाहिए।
बृहस्पति देव जी की पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
बृहस्पति देव को पीले फूल अर्पण करने चाहिए।
बृहस्पति देव की पूजा और व्रत वाले दिन खाने में पीला भोजन जैसे चने की दाल का प्रयोग करना चाहिए।
पूजा संपन्न होने पर केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।
पूजा करते समय कलश में पानी भरकर रखना चाहिए।
पूजा संपन्न होने पर पानी केले के पेड़ में अर्पण करना चाहिए।
बृहस्पति देव के चालीसा का पाठ करने के फायदे
बृहस्पति देव की पूजा करने से धन, दौलत, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
बृहस्पति देव बुद्धि दाता है, इनकी पूजा करने से विद्या की प्राप्ति होती है।
बृहस्पति देव को प्रसन्न करने से राजयोग प्राप्त होता है।
शास्त्रों में माना गया है कि बृहस्पति देव विद्या और ज्ञान के धनी हैं, तो इनकी पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है।
ज्ञान का प्रयोग कर व्यक्ति मान सम्मान में वृद्धि कर सौभाग्यशाली बनता है।
बुद्धि प्राप्त होने पर व्यक्ति ज्ञान का प्रयोग कर एक सफल और प्रतिष्ठित व्यक्ति बनता है।
ब्रहस्पति देव के चालीसा का पाठ करने से घर में शांति और सुख का वातावरण होता है।
बृहस्पति देव का चालीसा का पाठ करने से बृहस्पति देव की दशा के प्रतिकूल प्रभाव भी दूर होते हैं।
बृहस्पति देव के चालीसा का पाठ करने के साथ ही आप घर में सुख समृद्धि के प्राप्त करने के लिए बृहस्पति देव का कवच का पाठ भी कर सकते हैं। बृहस्पति देव के कवच का पाठ करने से भी घर में सुख, शांति, समृद्धि और संपन्नता का आती है।
ब्रहस्पति देव का कवच Shri Brahaspati Kavacha
श्री गणेशाय नमः अस्य श्रीबृहस्पतिकवचस्तोत्रमन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, गुरुर्देवता, गं बीजं, श्रीशक्तिः,
सम्पूर्ण गुरु बृहस्पति चालीसा/Full Original_Guru_Brahaspati Chalisa|इक बार जरूर सुने
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Brhaspati Dev Chaalisa (Brihaspati Chhalis) Doha Pranvau Pratham Guru Charan, Buddhi Gyaan Gun Khaan L Shri Ganesh Shaarad Sahit, Bason Hraday Mein Aan Ll Agyaani Mati Mand Main, Hain Gurusvaami Sujaan L Doshon Se Main Bhara Hua Hun Tum Ho Krpa Nidhaan Ll Chaupai Jay Naaraayan Jay Nikhileshavar L Vishv Prasiddh Akhil Tantreshvar Ll Yantr-mantr Vigyaanan Ke Gyaata L Bhaarat Bhu Ke Prem Prenata Ll Jab Jab Hui Dharam Ki Haani L Siddhaashram Ne Pathe Gyaani Ll Sachchidaanand Guru Ke Pyaare L Siddhaashram Se Aap Padhaare Ll