प्यार हुआ साईं से मुझको साईं मेरा भगवान
प्यार हुआ साईं से मुझको साईं मेरा भगवान
(मुखड़ा)
होश नहीं दुनिया का मुझको, साईं में रहूँ मगन,
प्यार हुआ साईं से मुझको, साईं मेरा भगवान।।
(अंतरा)
मैं तो दीवाना, दीवाना, साईं नाम का दीवाना,
मैं तो परवाना, परवाना, साईं नाम का परवाना,
शिर्डीवाले का दीवाना, साईं बाबा का दीवाना,
अपने बाबा का दीवाना, अपने बाबा का परवाना।।
(अंतरा)
तू ही मेरी आँखों में, अब तू ही मेरे मन में,
तुझे छोड़कर ना जाऊँगा, और किसी महफिल में,
श्रद्धा है तेरी ओ साईं, मेरी धड़कन में,
एक तू ही बसा है साईं, मेरे इस तन-मन में।।
(अंतरा)
बैठा हूँ ओ साईं, एक तुझसे आस लगाए,
पूरे ही दर्शन की, मन में ज्योत जगाए,
भूल के दुःख अपना, मैं तो साईं-साईं सारे,
जीऊँगा ओ साईं, अब तो तेरे ही सहारे।।
(अंतरा)
तेरे दर पे रहना है मुझे, तेरे दर पे मरना है,
जब तक है ये जान जिस्म में, तेरी पूजा करना है,
जीवन की नैया में, मेरे खेवैया तुम हो,
इस पापी के पाप धोने की, नयी नदिया तुम हो।।
(अंतरा)
कोई कहे पगला दीवाना, कोई कहे मतवाला,
मुझको तो जपनी है, अपने साईं नाम की माला,
मन में मेरे बसा है, मेरा साईं भोला-भाला,
मैंने तो पिया है, अपने साईं नाम का प्याला।।
(पुनरावृत्ति)
होश नहीं दुनिया का मुझको, साईं में रहूँ मगन,
प्यार हुआ साईं से मुझको, साईं मेरा भगवान।।
होश नहीं दुनिया का मुझको, साईं में रहूँ मगन,
प्यार हुआ साईं से मुझको, साईं मेरा भगवान।।
(अंतरा)
मैं तो दीवाना, दीवाना, साईं नाम का दीवाना,
मैं तो परवाना, परवाना, साईं नाम का परवाना,
शिर्डीवाले का दीवाना, साईं बाबा का दीवाना,
अपने बाबा का दीवाना, अपने बाबा का परवाना।।
(अंतरा)
तू ही मेरी आँखों में, अब तू ही मेरे मन में,
तुझे छोड़कर ना जाऊँगा, और किसी महफिल में,
श्रद्धा है तेरी ओ साईं, मेरी धड़कन में,
एक तू ही बसा है साईं, मेरे इस तन-मन में।।
(अंतरा)
बैठा हूँ ओ साईं, एक तुझसे आस लगाए,
पूरे ही दर्शन की, मन में ज्योत जगाए,
भूल के दुःख अपना, मैं तो साईं-साईं सारे,
जीऊँगा ओ साईं, अब तो तेरे ही सहारे।।
(अंतरा)
तेरे दर पे रहना है मुझे, तेरे दर पे मरना है,
जब तक है ये जान जिस्म में, तेरी पूजा करना है,
जीवन की नैया में, मेरे खेवैया तुम हो,
इस पापी के पाप धोने की, नयी नदिया तुम हो।।
(अंतरा)
कोई कहे पगला दीवाना, कोई कहे मतवाला,
मुझको तो जपनी है, अपने साईं नाम की माला,
मन में मेरे बसा है, मेरा साईं भोला-भाला,
मैंने तो पिया है, अपने साईं नाम का प्याला।।
(पुनरावृत्ति)
होश नहीं दुनिया का मुझको, साईं में रहूँ मगन,
प्यार हुआ साईं से मुझको, साईं मेरा भगवान।।
साईं नाम का दीवाना || Sai Naam Ka Deewana || New Sai Baba Bhajan || Nizam Moti || Mor Bhakti Bhajan
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Song Bhajan - Sai Naam Ka Deewana
Singer - Nizam Moti
Lyrics - Masih Ayaz Khan
Music - Mor Music Studio ( Sid Sinha )
Edit - Deepak Balyan
Label - Mor Music Company ( 9871070123 )
Singer - Nizam Moti
Lyrics - Masih Ayaz Khan
Music - Mor Music Studio ( Sid Sinha )
Edit - Deepak Balyan
Label - Mor Music Company ( 9871070123 )
साईं बाबा के प्रेम में डूबा भक्त दुनिया की सारी चिंताओं से मुक्त होकर उनके नाम में मगन रहता है। साईं उसके लिए भगवान हैं, जिनके प्रेम ने उसे दीवाना और परवाना बना दिया। शिरडीवाले साईं का यह दीवाना उनके नाम की माला जपता है, और उनकी छवि उसकी आँखों, मन और धड़कन में बसी है। साईं के दर्शन की आस में वह उनके दर पर बैठा है, यह विश्वास रखते हुए कि उनकी कृपा से सारे दुख भूल जाएंगे और जीवन उनके सहारे सार्थक हो जाएगा। यह भक्ति का वह पवित्र रंग है, जो भक्त को साईं के प्रेम में रंग देता है और जीवन को आनंदमय बनाता है।
साईं का दर भक्त के लिए वह पवित्र धाम है, जहां वह जीना और मरना चाहता है। उनकी पूजा ही उसके जीवन का मकसद है, और साईं उसकी नैया के खेवैया हैं, जो उसके पापों को धोने वाली नदी बनते हैं। चाहे दुनिया उसे पागल या मतवाला कहे, भक्त को केवल साईं के नाम का प्याला पीना है। साईं का भोला-भाला रूप उसके मन में बसा है, और उनकी कृपादृष्टि से उसका जीवन सुख, शांति और भक्ति से परिपूर्ण हो जाता है। यह वह आध्यात्मिक बंधन है, जो भक्त को साईं के चरणों में बांधे रखता है, और उनकी कृपा से हर पल मंगलमय हो जाता है।
साईं का दर भक्त के लिए वह पवित्र धाम है, जहां वह जीना और मरना चाहता है। उनकी पूजा ही उसके जीवन का मकसद है, और साईं उसकी नैया के खेवैया हैं, जो उसके पापों को धोने वाली नदी बनते हैं। चाहे दुनिया उसे पागल या मतवाला कहे, भक्त को केवल साईं के नाम का प्याला पीना है। साईं का भोला-भाला रूप उसके मन में बसा है, और उनकी कृपादृष्टि से उसका जीवन सुख, शांति और भक्ति से परिपूर्ण हो जाता है। यह वह आध्यात्मिक बंधन है, जो भक्त को साईं के चरणों में बांधे रखता है, और उनकी कृपा से हर पल मंगलमय हो जाता है।
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Author - Saroj Jangir
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