ओ नये नाथ सुण मेरी बात

ओ नये नाथ सुण मेरी बात

ओ नये नाथ सुण मेरी बात,
या चन्द्रकिरण जोगी तन्नै तन मन धन तै चावै सै।
नीचे नै कमन्द लटकारही, चढ़्या क्यूँ वार लगावै सै।।

मेरे कैसी नारी चहिए, तेरे कैसे नर नै,
बात सुण ध्यान में धर कै।।२।।

दया कर कै नाचिये मोर, मोरणी दो आँसू चावै सै।
नीचे नै कमन्द लटकारही, चढ़्या क्यूँ वार लगावै सै।।



ओ नए नाथ सुन मेरी बात Rajender Kharkiya | old ragni | Hit Ragni | Haryanvi Ragni Competition

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सुंदर रागिनी में एक भक्त का अपने नाथ के प्रति गहरा समर्पण और दिल से दिल का संवाद झलकता है। ये पुकार ऐसी है, जैसे कोई अपने तन, मन और धन को पूरी तरह चंद्रकिरण जैसे जोगी नाथ को सौंप देना चाहता हो। लेकिन सवाल उठता है कि जब नीचे कमंद लटक रही है, तो ऊपर चढ़ने में वार क्यों लग रहा है? ये उस बेचैनी को दिखाता है, जो भक्त को प्रभु से मिलन में देरी होने पर महसूस होती है।

रागिनी में भक्त पूछता है कि उसे कैसी नारी चाहिए और नाथ को कैसा नर चाहिए। ये सवाल सच्चे रिश्ते और आपसी समझ की तलाश को दर्शाता है, जैसे दो आत्माएं एक-दूसरे के लिए सही साथी की खोज में हों। 

मोर और मोरनी का जिक्र कर भक्त दया की याचना करता है। मोरनी के दो आंसुओं की बात उस कोमल भावना को दिखाती है, जो प्रेम और करुणा में डूबी है। फिर वही सवाल—जब रास्ता तैयार है, तो मिलन में देर क्यों? ये रागिनी भक्ति, प्रेम और प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण की मासूम चाह को बयां करती है।
 
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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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