डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला

डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला

डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला,
म्यार शिव शंकर देवो मै निराला।।

खुट मै घुँघरु, छान आंग बाग छाला,
हाथ मै त्रिशूल, डमरु, गळ नाग माला।
आंग बभूति रमाला हो…
डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला।।

सबौंकै दगाड़ माझी, तुम शिव भैया,
बिष कै यो प्याल कैणी, हल-हल पीग्या।
रे हल-हल पीग्या हो…
डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला।।

गोदी मै बैठि ऋ गणपति बप्पा,
संग मै ब्रह्मा, विष्णु सब सप्ता।
तुम बैठा कैलाश माथी,
हम चा रयाँ याँ।
दगड़ मै नन्दी बिराज हो…
डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला।।

कैलाश मै बैठी, रुछा लोकनि कै देखचा,
रे गुस्सै मैणी जब उँछा, ताण्डव करचा।
हे ताण्डव करचा हो…
डम-डमा-डम डमरु बाजिग्यो हिमाला।।


डम डमा डम डमरु बाजिरो हिमाला | Kumaoni Shiv Bhajan By Asha Negi

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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