मेरे घनश्याम मैं तेरे नशे में जीता हूँ
मेरे घनश्याम मैं तेरे नशे में जीता हूँ
मेरे घनश्याम, मैं तेरे नशे में जीता हूँ,
तेरे ही नाम के भर-भर प्याले पीता हूँ ॥१॥
तू नहीं जिसमें, महफ़िल से कोई काम नहीं,
जहाँ हो तेरा नाम, मैं भी वहीं रहता हूँ ॥२॥
सुबह-शाम, रात्रि-दोपहर, हो या कोई समय,
आठों पहर ही "राधे-श्याम, श्याम" कहता हूँ ॥३॥
दिखाई देता जड़-चेतन हर कण-कण में,
इसीलिए तो हर किसी से प्रेम करता हूँ ॥४॥
तेरे कितने ही नाम — गोवर्धन, गिरधारी,
कभी गोपाल, कभी कृष्ण-श्याम कहता हूँ ॥५॥
है अनुरोध, बरसता ही रहे प्यार तेरा,
झूमकर मस्ती में तेरा ही नाम लेता हूँ ॥६॥
तेरे ही नाम के भर-भर प्याले पीता हूँ ॥१॥
तू नहीं जिसमें, महफ़िल से कोई काम नहीं,
जहाँ हो तेरा नाम, मैं भी वहीं रहता हूँ ॥२॥
सुबह-शाम, रात्रि-दोपहर, हो या कोई समय,
आठों पहर ही "राधे-श्याम, श्याम" कहता हूँ ॥३॥
दिखाई देता जड़-चेतन हर कण-कण में,
इसीलिए तो हर किसी से प्रेम करता हूँ ॥४॥
तेरे कितने ही नाम — गोवर्धन, गिरधारी,
कभी गोपाल, कभी कृष्ण-श्याम कहता हूँ ॥५॥
है अनुरोध, बरसता ही रहे प्यार तेरा,
झूमकर मस्ती में तेरा ही नाम लेता हूँ ॥६॥
तेरे महफ़िल सी महफ़िल नहीं है ~ Devi Chitralekha Ji
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Admin - Saroj Jangir
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