कैलाशां उत्ते रैंदा बाबा वैद रोगियां दा

कैलाशां उत्ते रैंदा बाबा वैद रोगियां दा

कैलाशां उत्ते रहिंदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥
वैद रोगियां दा बाबा, वैद रोगियां दा ॥
भंग प्याले पींदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥
कैलाशां उत्ते रहिंदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥१॥

भोला बैठा धूणा ला के,
सारे कर लो दर्शन आ के ।
दुखियां दे रोग मिटाउंदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥२॥

सभ भगतां ने करम कमाया,
भोले बाबा ने दर्शन दिखाया ।
नाम दी माला जपाउंदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥३॥

मैं तां एहे सारी जिंदगी,
भोले उत्तों वारी जिंदगी ।
ओ अंग-संग मेरे रहिंदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥४॥

जनम मरण दे गेड़ है कटदा,
जो वी एहेदे दर ते झुकदा ।
अंतर-ज्ञान दी जोत जगाउंदा बाबा, वैद रोगियां दा ॥५॥

एस वैद दी फीस कोई ना,
मंगदा दस जा बीस कोई ना ।
ओ भगतो एहेदी रीस कोई ना बाबा, वैद रोगियां दा ॥६॥

एस वैद दी धन कमाई,
सभ रोगां दी देवे दवाई ।
एहनूं मंनदी कुल खुदाई बाबा, वैद रोगियां दा ॥७॥



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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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