गुरु ज्ञान की ज्योति हमारी, वो ही ज्योत जलाता हूँ, गुरु की कृपा कैसे होती, मैं वो आज सुनाता हूँ।
गुरु बिन जीवन व्यर्थ हमारा, वेदों ने बतलाया है, गुरु से ही सद करनी मिलती, ऋषियों ने समझाया है, गुरु ही मेरे पारब्रम्ह है,
उनको शीश झुकाता हूँ, गुरु की कृपा कैसे होती, मैं वो आज सुनाता हूँ।
गुरु का ज्ञान ले श्री राम ने, असुरों का संघार किया, गुरु की कृपा से ही पार्थ ने, द्रोपती जी का वरण किया, बिना गुरु नर राह भटकता, ये सच मैं बतलाता हूँ,
Guru Purnima Bhajan
गुरु की कृपा कैसे होती, मैं वो आज सुनाता हूँ।
गुरु का जहाँ अपमान हुआ है, वहां का बेडा गर्क हुआ, अपमान किया था लंकापति ने, चूर भी उसका गर्व हुआ, लिखे मुनींद्र जी गुरु की गाथा, संजय तुम्हे सुनाता हूँ, गुरु की कृपा कैसे होती,
मैं वो आज सुनाता हूँ।
गुरु ज्ञान की ज्योति हमारी, वो ही ज्योत जलाता हूँ, गुरु की कृपा कैसे होती, मैं वो आज सुनाता हूँ।