दादी चरणों में तेरे पड़ी मैया तुझको निहारूं खड़ी

दादी चरणों में तेरे पड़ी मैया तुझको निहारूं खड़ी

(मुखड़ा)
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
हाथ कृपा का रख दे जरा,
हाथ कृपा का रख दे जरा,
लागी नैनों में असुवन झड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी।।

(अंतरा)
मैं तो दुखड़ों से हारी हूँ माँ,
थोड़ी मुझ पे इनायत भी हो,
तेरे चरणों में मैं रह सकूँ,
मुझको इतनी इजाजत माँ हो,
तेरी दरकार मुझको बड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी।।

धूप में मैं ग़मों की जली,
दे दे आँचल की छैयां मुझे,
घाव दिल पे हजारों लगे,
दादी, कैसे दिखाऊँ तुझे,
मेरी अँखियों में पीड़ा भरी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी।।

हर्ष, तेरे सिवा मैंने तो,
माँ, किसी को पुकारा नहीं,
तेरी स्वाति अगर रोए तो,
मैया, तुझको गवारा नहीं,
तेरी चौखट पे नजरें गड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
हाथ कृपा का रख दे जरा,
हाथ कृपा का रख दे जरा,
लागी नैनों में असुवन झड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया, तुझको निहारूं खड़ी।।
 


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