छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज, गोवर्धन महाराज, राज है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।
मानसी मानसी गंगा को असनान, धरो फिर चकलेश्वर को ध्यान, दान घाटी पे दधी को दान, करो परिक्रमा की तैयारी है, गोवर्धन महाराज,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।
गाँव अन्योर कुंड गोविन्द, सरोवर भरे रहे स्वछन्द, पौंछरी का लौठा बजे मृदंग, आगे जतीपुरा सुखकारी है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।
शिखर के ऊपर नांचे मोर, संत यहाँ पड़े रहे चहुँ ओर, हरी को भजन करे, निस भोर,
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करे वो सब बृज की रखवारी है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।
कुंड राधा और कृष्ण अपार, यहाँ होये अविचल नित्य विहार, करे बन्दर सबका सत्कार, कुसुम के निकट खिली, फुलवारी है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।
धन्य जो वास करे गिरिराज,
लाज राखे उनकी महाराज, सभी होये पूरण मन के काज, किशोरी चरणन की बलिहारी है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।
छंटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज, छंटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज, गोवर्धन महाराज, राज है, गोवर्धन महाराज, छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महाराज।