यह प्रेम सदा भरपूर रहे हनुमान तुम्हारे चरणों

यह प्रेम सदा भरपूर रहे हनुमान तुम्हारे चरणों में

 
यह प्रेम सदा भरपूर रहे हनुमान तुम्हारे चरणों

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,
जय कपीस तिहुं लोक उजागर,
रामदूत अतुलित बल धामा,
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।

यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
यह अरज मेरी मंजूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में।

निज जीवन की यह डोर तुम्हें,
सौंपी है दया कर इसको धरो,
उद्धार करो ये दास पड़ा,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

संसार में देखा सार नहीं,
तब ही चरणों की शरण गहि,
भव बंध कटे यह विनती है,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में।

आँखों में तुम्हारा रूप रमे,
मन ध्यान तुम्हारे में मगन रहे,
धन अर्पित निज सब कर्म करे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में।

वह शब्द मेरे मुख से निकले,
मेरे नाथ जिन्हे सुनकर पिघले,
देवेंद्र राघवेंद्र के भाव ऐसे रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में।

यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में,
यह अरज मेरी मंजूर रहे,
हनुमान तुम्हारे चरणों में।

भजन श्रेणी : हनुमान भजन (Hanuman Bhajan)





Hanuman Bhajan | Hanuman Tumhare Charno Me | हनुमान तुम्हारे चरणों मे | Balaji | Devendra Pathak Ji 

 
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हनुमानजी की महिमा, जो ज्ञान और गुणों का सागर है, तीनों लोकों में उजाला फैलाती है। राम के दूत, जिनकी शक्ति अतुलनीय है, वो पवनपुत्र जिनके चरणों में प्रेम की धारा बहती है। मन की वो पुकार, जो कहती है—हे हनुमानजी, ये जीवन तुम्हारे हवाले, इसकी डोर थाम लो, उद्धार कर दो।

संसार में सब खोजा, पर सच्चा सार बस उनके चरणों में मिला। वो शरण, जहां दुनिया के बंधन कट जाते हैं। आंखों में उनका रूप बसे, मन उनके ध्यान में डूबे, और हर कर्म उनके नाम अर्पित हो—यही तो सच्ची भक्ति है। जैसे हनुमानजी ने राम के लिए सब कुछ समर्पित किया, वैसे ही भक्त का मन उनके चरणों में रम जाता है।

मुख से वो शब्द निकलें, जो प्रभु के दिल को पिघला दें, जैसे राम और हनुमान का प्रेम सदा एक-दूसरे में बस्ता है। धर्म यही सिखाता है—हनुमानजी की शरण में जो जाता है, उसका प्रेम कभी कम नहीं होता। चिंतन कहता है, उनके चरणों की धूल ही वो खजाना है, जो हर दुख को मिटा देता है। बस, उस प्रेम को पकड़े रखो, वो सदा भरपूर रहेगा।

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