हमारो कान्हा गोवर्धन गिरधारी

हमारो कान्हा गोवर्धन गिरधारी

बढ़ता रहा अभिमान पूरित,
क्रोध प्रतिपल इन्द्र का,
गिरिराज को धारण किए,
बृजराज मुस्काते रहे,
एक होड़ सी लगने लगी,
फिर वस्त्र में और चक्र में,
धरती गगन के बीच,
तंत्र और मन्त्र टकराते रहे,
और श्री कृष्ण की,
शरण में निर्भय,
गाते रहे नर नारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी,
कन्हैया निज भक्तन के,
शीश पे छत्र बन के,
देखो आप करे रखवारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी।

प्रलय के बादल बरसाय ले,
अपनी सबरी शक्ति लगाय ले,
बाल ना बांको होय बृज को,
जब तक बृज तक बिहारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी।

जय जय गोवर्धन गिरधारी,
जय जय गोवर्धन गिरधारी,
तेरी लीला पे बलिहारी,
तेरी लीला पे बलिहारी,
जय जय चक्र सुदर्शन धारी,
जय जय चक्र सुदर्शन धारी,
जय जय गोवर्धन गिरधारी,
जय जय गोवर्धन गिरधारी,
प्रेम द्वेष के युद्ध में,
बीत गए दिन सात,
मेघ बरस कर थक गए,
सूख गई बरसात,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी,
हमारो कान्हां गोवर्धन गिरधारी।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


हमारो कान्हा गोवर्धन गिरधारी l Hamaro Kanha Govardhan Girdhari |Tilak

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