ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
माता लक्ष्मी जी आप सभी पर अपनी कृपा बनाये रखे। इस मन्त्र में ॐ से आशय पूर्ण परमपिता ईश्वर से है। ह्रीं से आशय माया बीज से है जिसमें ह् शिव, र प्रकृति, नाद विश्वमाता एवं बिंदु दुखहरण है।
अतः माता से निवेदन है की हे शिवयुक्त जननी, हे आद्य शक्ति मेरे संकटों को दूर करो। इस मन्त्र में श्रीं माता लक्ष्मी बीज है तथा श् महालक्ष्मी के हैं , "र" से आशय संपत्ति से और ई से आशय महामाया से हैं। नाद माता से पुकार है जो समस्त संकटों को दूर करती हैं।
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Author - Saroj Jangir
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