आज सत्संग में मिलके, हरी का गुणगान करो, मिलके हरी का गुणगान करो, मिल के हरी का गुणगान करो, आज सत्संग में मिलके, हरी का गुणगान करो।
विश्व चराचर में परिपूर्ण, चेतन ब्रह्म स्वरुप सदा,
प्रभु, चेतन ब्रह्म स्वरुप सदा, विश्व चराचर में परिपूर्ण, चेतन ब्रह्म स्वरुप सदा, घट भीतर जान पहचान सही, मन बीच निरंतर ध्यान धरो, आज सत्संग में मिलके, हरी का गुणगान करो।
सब शंशय दूर करावत है,
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निज रूप लखावत है तन में, ब्रह्मानंद सुनों गुरु ज्ञान सदा, भव सागर दुस्तर पार करो, आज सत्संग में मिलके, हरी का गुणगान करो।
आज सत्संग में मिलके, हरी का गुणगान करो, मिलके हरी का गुणगान करो,
मिल के हरी का गुणगान करो, आज सत्संग में मिलके, हरी का गुणगान करो।