भगवान श्री अभिनंदन नाथ आरती
भगवान श्री अभिनंदन नाथ आरती
भगवान श्री अभिनंदननाथ जी जैन धर्म के चर्तुथ तीर्थंकर थे। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी के पिता का नाम संवर तथा माता का नाम सिद्धार्था देवी था। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी का जन्म मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अयोध्या में हुआ था। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी के शरीर का वर्ण स्वर्ण था। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी का प्रतीक चिन्ह बंदर है। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी को वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सम्मेद शिखर निर्वाण प्राप्त हुआ। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी का चालीसा पाठ करने से सभी रोग-दोष दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जैन धर्म में माना जाता है कि भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी के चालीसा पाठ के बाद उनकी आरती भी करें।
भगवान श्री अभिनंदन नाथ जी की आरती
अभिनंदन प्रभू जी की आज,
हम सब आरती करे,
बड़ा साँचा प्रभू का दरबार,
सब मिल आरती करे।
राजा स्वयंवर के घर जब थे जन्मे,
इन्द्रगण आ मेरू पे अभिषेक करते,
नगरी अयोध्या में खुशियां अपार,
प्रजाजन उत्सव करे,
अभिनंदन प्रभू जी की आज,
हम सब आरती करे .....।
माघ सुदी बारस की तिथि बनी न्यारी,
प्रभुवर ने उग्र वन में दीक्षा थी धारी,
त्रैलोक्य पूज्य प्रभुवर की आज,
सब मिल आरती करे.....।
पौष सुदी चौदस में केवल रवि प्रगटा,
प्रभु की दिव्यध्वनि सुनकर जग सारा हर्षा,
केवलज्ञानी प्रभुवर की आज,
सब मिल आरती करे.....।
शाश्वत निर्वाण थली सम्मेद गिरि है,
वही पे प्रभू ने मुक्ति कन्या वरी है,
मुक्ति रमापति प्रभू की आज,
सब मिल आरती करे.....।
प्रभु तेरे द्वारे हम आरती को आए,
आरती के द्वारा भव आरत मिटाएं,
मिले शिव मार्ग,
सब मिल आरति करे......।
अभिनंदन प्रभू जी की आज,
हम सब आरती करे,
बड़ा साँचा प्रभू का दरबार,
सब मिल आरती करे।
भजन श्रेणी : जैन भजन (Read More : Jain Bhajan)
04_Shree Abhinandan Nath Jin Pooja
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