कथा शीश के दानी की लिरिक्स Katha Sheesh Ke Dani Ki
कोन हैं बर्बरीक और कैसे बने, ये खाटू के बाबा श्याम, क्यू दिया था शीश दान में, कैसे मिले वरदान, कलयुग के ये है अवतारी, कहां है खाटू धाम, पांडव कुल में जन्म लियो है, बर्बरीक पड़यो है नाम, शीश दान दे श्रीकृष्ण को, कहलाए बाबा श्याम। आइए सुनते हैं कथा, शीश के दानी की, भीमसेन के पौत्र लाडले, मोरवी माँ के लाल, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम खाटू के बाबा श्याम,
चौदह बरस की उम्र में जिसने, जग में किया बड़ा नाम, कहलाए बाबा श्याम।
लीले घोड़े रो असवार, तेरी महिमा अपार, महिमा अपार, शिव दुर्गा भक्ति से मिली, शक्ति अपार शक्ति अपार, तीन बाणों का धारी, लीले कि तेरी सवारी, बलियों में तुम बलकारी, लाखों पे हो तुम भारी, इच्छा प्रकट कर युद्ध की, माँ से चले वीर बलवान, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम,
खाटू के बाबा श्याम।
बर्बरीक से माता ने मांगे, दो वचन मांगे दो वचन, पूरा करना वचनों को है, तुम्हें सौगंध तुम्हें सौगंध, हारे का साथ ही बन, निर्बल को देना बल, दान कोई मांगे तो, इंकार न करना तुम देकर वचन माँ को वीर, करे हैं युद्ध को प्रस्थान, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
ब्राह्मण बन कृष्ण ने रोका, बलवान रोका बलवान, जाते हो तुम कहां बालक, नादान बालक नादान बोला बालक वो महान, रण को जाता श्रीमान, क्षत्रिय योद्धा हूँ ये ही मेरी पहचान, परिचय देकर श्रीकृष्ण को, किया पुनः प्रस्थान, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
योद्धा है बड़े महान बालक, नादान बालक नादान, किस बात पे करते हो इतना, अभिमान इतना अभिमान, निकाला तीर कमान, चढ़ाया उस पर बाण, लाखों पत्तों को भेद कर, दिया शक्ति प्रमाण, दंग रह गए श्री कृष्ण भी,
देख के शक्ति अपार, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
बालक हो तुम महान बोले, भगवान बोले भगवान, साथ किस का युद्ध में दोगे, बलवान दोगे बलवान, वीर बोला निस्वार्थ, दूंगा हारे का साथ, निर्णय फिर कुछ भी निकले, झुके ना मेरा माथ, तुम जो बनोगे हारे का साथी, तो कैसे मिलेगा परिणाम, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
दुविधा में पड़ गया बालक, नादान बालक नादान, दुविधा को हल करो ब्राह्मण, भगवान ब्राह्मण भगवान, याचक बनकर भगवान, बोले सुनो वीर महान, धरती कल्याण हेतु दो, अपने शीश का दान, वचन है दूंगा शीश दान में, दो दर्शन भगवान, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
दे डाला वीर ने फिर शीश का, दान शीश का दान छोटी सी आयु में किया, काम महान काम महान दिया जहां शीश का दान,
वो है चुलकाना धाम, फाग शुक्ल द्वादशी को, दिया ये महा बलिदान, इच्छा जो मन में बोलो तो, मुझसे दूंगा मैं वरदान, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
महाभारत युद्ध में जीते, भगवान जीते भगवान पांडवों में जीत से आया, अभिमान आया अभिमान सत्य की जीत हुई, अहम का नाश हुआ, जीत होते ही सबके, मन में अभिमान जगा, निर्णय हो इस बात का, कैसे मिली ये जीत महान माधव बोले निर्णय करेगा, जिसने दिया है शीश दान जो है प्रत्यक्ष प्रमाण, कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
फिर बोले भगवान सुनो, वीर महान वीर महान युद्ध में क्या देखा था तुम, करो बखान करो बखान बोला वो मोरबी लाल, रण में था एक महान सुदर्शन चक्र लिए, करता सब का संघार खुश होकर के श्रीकृष्ण, ने दिए उन्हें वरदान कलयुग में मेरे नाम से, तुमको पूजेगा ये जहान कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।
भारत में हैं स्थान जो है, राजस्थान राजस्थान, राजस्थान में सीकर जिला, जहां खाटू धाम पावन धाम, भगत जो हार के आते, इस दर से जीत के जाते, सच्चे मन से जो ध्याते, मनचाहा वर वो पाते, श्री कृष्ण के हैं अवतारी, प्रकटे खाटू धाम, खाटू नाम का गांव भी, जिससे बन गया पावन धाम कहलाए बाबा श्याम अरनव माधव कथा सुनाएं, कैसे बने बाबा श्याम खाटू के बाबा श्याम कलयुग में हारे के सहारे, कहलाए बाबा श्याम, खाटू के बाबा श्याम।