अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है। रहती है झूंझन में, पर ध्यान रखती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है।
जब भी पुकारूँ मैं, वो दौड़ कर आये, चांदी का सिंहासन, मां छोड़ कर आये, चांदी का सिंहासन,
मां छोड़ कर आये, अपने भगत पर कितना, उपकार करती है, रहती है झूंझन में, पर ध्यान रखती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है।
करती है रखवाली, दिन रात भक्तों की, सुनती हमेशा वो, हर बात भक्तों की, मझधार में हो नैया, मां पार करती है,
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रहती है झूंझन में, पर ध्यान रखती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है।
हम मांगते रहते, वो भेजती रहती, भक्तों की हालत को, मां देखती रहती, भक्तों की खाली झोली, हर बार भरती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है। रहती है झूंझन में,
पर ध्यान रखती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है।
कर्जा तुम्हारा मां, कैसे उतारेंगे, बनवारी सेवा में, जीवन गुजारेंगे, गर्दन झुकी है मेरी, आँखें बरसती है, रहती है झूंझन में, पर ध्यान रखती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है।
अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है। रहती है झूंझन में, पर ध्यान रखती है, अपने भगत से कितना, मां प्यार करती है।