जय जय हे लक्ष्मी मैया अमृतवाणी

जय जय हे लक्ष्मी मैया अमृतवाणी

 
जय जय हे लक्ष्मी मैया अमृतवाणी

(मुखड़ा)
जय-जय हे लक्ष्मी मैया,
रूप अनेक तुम्हारे मैया,
अष्ट रूप की महिमा गाऊँ,
अवगुण चित न लाना मैया।।

भृगु ऋषि के घर में माँ,
तुमने जनम लिया,
तीनों देवों को हे माँ,
तुमने प्रकट किया।।

(अंतरा)
तुम ही सरस्वती, तुम्हीं काली,
भक्तों की करती रखवाली,
सर स्वरूप की महिमा न्यारी,
सुख-समृद्धि देने वाली,
आज है दिन माँ लक्ष्मी जी का,
विधि-विधान से करे जो पूजा,
माता लक्ष्मी की फिर उस पर,
सदा बरसती रहती कृपा।।

दोहा:
अपने भक्तों की सदा,
मैया करें सहायक,
माँ की कृपा से सभी,
दुःख-दारिद्र मिट जाए।।

धन लक्ष्मी स्वरूप है दूजा,
करती दुनिया इनकी पूजा,
वैभव से परिपूर्ण कराती,
महिमा सारी दुनिया गाती,
एक बार श्री विष्णु जी ने,
लिया कुबेर से कर्ज प्रभु ने,
माँ लक्ष्मी ने धन बरसाया,
श्री विष्णु को मुक्त कराया।।

एक हाथ धन का घड़ा,
कमल है दूजे हाथ,
माँ लक्ष्मी के नाम से,
सब संकट टल जात।।

तुमसा नहीं कोई उपकारी,
सब विधि रखना लाज हमारी,
कृपा दृष्टि माँ सब पर कीजै,
भक्ति का वर हमको दीजै।।

हे माँ लक्ष्मी स्तुति,
कैसे करूँ तुम्हार,
चरणों में अपनाइए,
माँ, न देना बिसार।।

धन्य लक्ष्मी है तीसरा रूपा,
अन्नपूर्णा मात स्वरूपा,
धन्य लक्ष्मी है अन्न की दाती,
दाने-दाने में ये बिराजी,
खुश करना जो माँ को चाहो,
तो अन्न की बर्बादी मिटाओ,
जिस घर में हो अन्न का आदर,
भरा रहे भंडार वहाँ पर।।

माँ की कृपा मात्र से,
खुल जाएँ सब द्वार,
धन-धान्य घर में भरें,
खुशियाँ मिले अपार।।

मंगल करणी, अमंगल हारी,
माँ, तुम्हीं सबकी हितकारी,
हे दुःख हरणी, हे भव-तरणी,
महिमा जाए नहीं माँ बरणी।।

माता, चरणों से मुझे,
अपने लीजो लगाय,
सेवा-पूजा नित्य करूँ,
चरणों में चित लाय।।

गज पर बैठी गज लक्ष्मी माँ,
कमल पुष्प का लगाके आसन,
जो व्रत करता माँ का इस दिन,
वो नहीं रहता है फिर निर्धन,
इत्र-गंध और फूल कमल का,
भैया को जो अर्पित करता,
कृपा-धन सब पर बरसाती,
मैया जब है मौज में आती।।

कमल गट्टे की माल से,
करे जो कोई भी जाप,
"ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः",
मिटे सभी संताप।।

पाँचवाँ रूप संतान लक्ष्मी,
बच्चों को दे आयु लंबी,
देवी सनातन गोद में अपनी,
स्कंद कुमार को लेकर बैठी,
मैया जी की चार भुजाएँ,
शोभा माँ की बरणी न जाए,
दो हाथों में कलश विराजे,
दो में ढाल-तलवार है साजे।।

करती रक्षा है सदा,
हर बेटे की माँ,
ऐसे ही रक्षा करे,
भक्तों की भी माँ।।

वीरों जैसी साहसी मैया,
वीरों की आराध्य हैं मैया,
भक्तों को विजय दिलावे,
मैया जी की आठ भुजाएँ,
किए विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं धारण,
मैया ने भक्तों के कारण,
भक्तों के सौभाग्य जगाने,
समृद्धि माँ कृपा दिलावे।।

धन्य-धन्य माँ लक्ष्मी,
वीरों का आधार,
भक्तों के हित लेत माँ,
जग में है अवतार।।

जीत की देवी विजया लक्ष्मी,
दूजा नाम है जाया लक्ष्मी,
साड़ी लाल पहन के मैया,
बैठी कमल पे विजया मैया,
करती अभय प्रदान है मैया,
मनचाहा वरदान दे मैया,
पार लगावे सबकी नैया,
जीत की देवी लक्ष्मी मैया।।

माता विजया लक्ष्मी का,
खुला सदा दरबार,
मैया भक्तों का सदा,
करती है उद्धार।।

आठवाँ रूप है विद्या लक्ष्मी,
ज्ञान की देवी विद्या लक्ष्मी,
ब्रह्मचारिणी रूप है इनका,
माँ दुर्गा का रूप है इनका,
साड़ी धवल है पहनी माता,
सारा जग गुण इनके गाता,
जो भी माँ का नाम ध्याता,
विद्या धन वो सहज में पाता।।

माँ का नाम बड़ा सुखदाई,
वेदों ने है महिमा गाई,
भक्तों के भंडार है भरती,
खाली झोली सबकी भरती,
करना दया है माता रानी,
तेरा नहीं है माँ कोई सानी,
करो कृपा जगदंबे माता,
भक्ति दान दो हे जग माता।।

मैया लक्ष्मी, करो कृपा,
करो हृदय में वास,
रखना "शिव" को माँ सदा,
श्री चरणों के पास।।
 

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