दीप प्रज्वलन मंत्र 'दीपज्योतिः परं ज्योतिः, दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं, दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥' का अर्थ है: दीपक की ज्योति परम ज्योति है, जो जनार्दन (भगवान विष्णु) के रूप में मानी जाती है। यह दीपक हमारे पापों को दूर करे; ऐसी दीपज्योति को नमस्कार है।
दूसरा मंत्र 'शुभं करोति कल्याणम्, आरोग्यं धनसंपदः। शत्रुबुद्धिविनाशाय, दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥' का अर्थ है: यह दीपक शुभ और कल्याणकारी है, स्वास्थ्य और धन-संपदा प्रदान करता है, शत्रुओं की बुद्धि का नाश करता है; ऐसी दीपज्योति को नमस्कार है।
इन मंत्रों का उच्चारण प्रातः और सायं समय दीप प्रज्वलन के दौरान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।