द्वारिका नाथ इतने दयालु लिरिक्स Dwarika Nath Itane Dayalu Lyrics, Shri Krishna Bhajan
द्वारिका नाथ इतने दयालु,
दीन दुखियो को दिल से लगाते,
भक्तों के दुःख को पल में मिटाने,
धरती पर जनम लेकर हैं आते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
द्रोपदी जब यहाँ थी बिलखती,
उसकी लज्जा भी जब दांव लगती,
सच्चे मन से पुकारे लगाती
वस्त्र देके है उसे बचाते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
दुर्योधन ने प्रभु को भुलाया मेवा मिष्ठान,
स्वागत में लाया पर अभिमान से
दूर भगवान सज के विधुर घर आते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
मोह में अँधा था जैसे अर्जुन,
रूप उसको विराट दिखाते,
जो भगवान के है भरोसे,
हारता नहीं वो प्रभु जिताते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
द्वारिका नाथ इतने दयालु,
दीन दुखियो को दिल से लगाते,
भक्तों के दुख को पल में मिटाने,
धरती पर जन्म लेकर हैं आते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
दीन दुखियो को दिल से लगाते,
भक्तों के दुःख को पल में मिटाने,
धरती पर जनम लेकर हैं आते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
द्रोपदी जब यहाँ थी बिलखती,
उसकी लज्जा भी जब दांव लगती,
सच्चे मन से पुकारे लगाती
वस्त्र देके है उसे बचाते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
दुर्योधन ने प्रभु को भुलाया मेवा मिष्ठान,
स्वागत में लाया पर अभिमान से
दूर भगवान सज के विधुर घर आते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
मोह में अँधा था जैसे अर्जुन,
रूप उसको विराट दिखाते,
जो भगवान के है भरोसे,
हारता नहीं वो प्रभु जिताते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।
द्वारिका नाथ इतने दयालु,
दीन दुखियो को दिल से लगाते,
भक्तों के दुख को पल में मिटाने,
धरती पर जन्म लेकर हैं आते,
द्वारिका नाथ इतने दयालू,
दीन दुखियो को दिल से लगाते।