हनुमान मेरे वन के साथी भजन

हनुमान मेरे वन के साथी भजन

 
हनुमान मेरे वन के साथी भजन लिरिक्स Hanuman Mere Wan Ke Sathi Lyrics, Hanuman Bhajan

हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हर दम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ............।

सागर को पार करके,
सीता का पता लगाया,
लंका जला के इनने,
सब खाक में मिलाया,
इनसा ना कोई जग में,
बतलाना चाहता हुँ,
हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हर दम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ............।

शक्ति लगी थी जिस दम ,
लक्ष्मण को मेरे भाई,
एक भी नही था दल में,
लक्ष्मण का कोई सहाई,
सँजीवनी ये लाये,
बतलाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हर दम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ............।

हमको चुरा अहिरावण,
पाताल ले गया था,
अब हम नही बचेगे,
विश्वास हो गया था,
अहिरावण को इनने मारा,
बतलाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हर दम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ............।

संकट की हर घड़ी में,
मेरे हुये सहाई,
इनका ऋणी रहूंगा,
ये मेरे भरत भाई,
भक्ति में शक्ति राजेन्द्र
समझाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हर दम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ............।


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स्वर-राजेंद्र प्रसाद सोनी
गीतकार -राजेन्द्र प्रसाद सोनी
संगीतकार-राजेन्द्र प्रसाद सोनी
हनुमान मेरे वन के साथी,सीता इन बिन न मिल पाती हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ ऋणी रहूँ।।

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