हे दशरथ नंदन कष्ट निकंदन
हे दशरथ नंदन, कष्ट निकंदन,
मोह माया के, अब काटो बंधन,
हे कौशल दुलारे, प्रभु प्राण प्यारे,
तुम तारो भव से, अवगुण भुलाके।
हम तेरे बालक, तु जग का है पालक,
तेरा सुमिरन है भव से तारक,
तुम धनुधारी तुम धनु के भंजक,
आजानुभुज प्रभु श्री पद पंकज।
त्रिलोकि आभा, नीरज नैनम,
सिंधुसा धीरज, सुहास्यम वदनम,
रघुकुल शिरोमणी, दैवी चरित्रम,
अधरम नीकंदम, वैकुंठि चरणम।
हे प्रतिपालक सियापती रामम,
चैतन्य साधक, सत वाच वचनम,
हे धरमेश्वर मर्यादा मार्गम,
सिया पती नामम धर्मम उद्गम।
हे त्रिपुरारी पादारविंदम,
हरीअवतारी, सकल भावगम्यम,
दिव्य ललाटम, कोटी प्रकाशम,
अनुयायी देवम, पाप निर्मूलम।
हे हनुमत स्वामी, शत शत प्रणामम,
रघुवीर रघुवर, सुखमयी प्रभातम,
तुम ही सत्यम, तुम ही सुंदरम,
कर जोर वंदन सकल गुण हे रामम।
राम रतन धन, राम ही सद्गुण,
राम कृपालू राम दया गुण,
राम उच्चारण कलियुग में पुण,
जाके हिये राम लागे न घुण।
जापर कृपा राम की होई,
तापर कृपा करें सब कोई,
वाल्मीकि मन श्रद्धा जोई,
तुलसी के मन प्रभुता सोई।
राम भजन जो करता निरंतर,
प्रभु मिलन का घटता अंतर,
दो अक्षर का अद्भुत मंतर,
जपे सुधाकर नाम निरंतर।भजन श्रेणी : राम भजन (Ram Bhajan)