लाल सिंघा पे खेल रही मैया मेरी भजन

लाल सिंघा पे खेल रही मैया मेरी भजन

(मुखड़ा)
लाल सिंघा पे खेल रही,
मैया मेरी।।

(अंतरा)
कंगना, मुंदरी, बुहटा पहने,
हाथ खप्पर ले खेल रही,
मैया मेरी।।

लट बिखराए मचल रही मैया,
जीभ लाल ही निकाल रही,
मैया मेरी।।

खप्पर, खड्ग लिए हैं मैया,
नयना लाल ही निकाल रही,
मैया मेरी।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
लाल सिंघा पे खेल रही,
मैया मेरी।।
 


लाल सिंघा पे खेल रही अम्बे मेरी lal si gha pe khel rahi ambey meri

स्वर-राजेन्द्र प्रसाद सोनी
गीतकार-राजेन्द्र प्रसाद सोनी
गीत के बोल- लाल सिंघा में खेल रहीं मैया मेरी

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