साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी लिरिक्स Sadi Laye Na Sajanava Lyrics, Lok Geet By Braj Geet
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी,साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी।
पहन के रेशम साड़ी,
मैं तो फ़िल्म देखने जाती
देख देख के बालक बच्चे,
जिया मेरा घबराए
जिया लागे न अंगनवा ,कैसे सपरी
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी,
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी।
बहुत दिनों से साजन,
मैंने खाई न दूध मलाई
सूख सूख के पिंजर हो गई,
पड़ गई नरम कलाई
ढीले पड़ गए रे कंगनवा, केसे सपरी
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी,
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी।
अब तक तो मैं साड़ी मांगू ,
अब माँगूँगी गहना,
पैरों की तो पायल मांगू,
औऱ हाथों के कंगना
मांगू हीरे की मुदरिया कैसे सपरी
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी,
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी।
साठ रुपये का हूँ मै नोकर,
कैसे करूँ गुजारा
खाना कपड़ा तो मुश्किल है,
क्या में डालूं डाका,
पहनो पीतल की मुदरिया कैसे सपरी
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी,
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी।
तुम हो गंगा पार के साजन,
मैं हूँ यमुना पारी
तूम फैशन के कट्टर दुश्मन,
मैं फैशन की मारी
कैसे होगा रे मिलनवा कैसे सपरी
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी,
साड़ी लाये न सजनवा कैसे सपरी।
लोक गीत श्रेणी : लोकगीत Lokgeet/Folk Song