जय भारती जय भारती लिरिक्स Jay Bharati Jay Bharti Lyrics
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती,
स्वर्ग ने थी जिस तपोवन की,
उतारी आरती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
ज्ञान रवी किरणें जहां,
फूटीं प्रथम विस्तृत भुवन में,
साम्य सेवा भावना सरसिज,
खिला प्रत्येक मन में,
मृत्यु को भी जो अमर,
गीता गिरा ललकारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
ध्यान में तन्मय जहां,
योगस्थ शिव सा है हिमालय,
कर रही झंकार पारावार,
वीणा दिव्य अव्यय,
कोटि जन्मों के अधों को,
जाह्नवी है तारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
कंस सूदन का सुदर्शन,
राम के शर भीम भैरव,
त्याग राणा का शिवा की नीति,
बंदा का समर रव,
ज्वाल जौहर की शिखा,
जिसकी विजय उच्चारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
असुर वंश विनासिनी,
तू खंग खप्पर धारणी माँ,
ताण्डवी उस रुद्र की तू,
अट्टहास विहारिणी माँ,
शत्रु दल की मृत्यु बेला,
आज तुझको पुकारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती,
स्वर्ग ने थी जिस तपोवन की,
उतारी आरती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
जय भारती जय भारती,
स्वर्ग ने थी जिस तपोवन की,
उतारी आरती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
ज्ञान रवी किरणें जहां,
फूटीं प्रथम विस्तृत भुवन में,
साम्य सेवा भावना सरसिज,
खिला प्रत्येक मन में,
मृत्यु को भी जो अमर,
गीता गिरा ललकारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
ध्यान में तन्मय जहां,
योगस्थ शिव सा है हिमालय,
कर रही झंकार पारावार,
वीणा दिव्य अव्यय,
कोटि जन्मों के अधों को,
जाह्नवी है तारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
कंस सूदन का सुदर्शन,
राम के शर भीम भैरव,
त्याग राणा का शिवा की नीति,
बंदा का समर रव,
ज्वाल जौहर की शिखा,
जिसकी विजय उच्चारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
असुर वंश विनासिनी,
तू खंग खप्पर धारणी माँ,
ताण्डवी उस रुद्र की तू,
अट्टहास विहारिणी माँ,
शत्रु दल की मृत्यु बेला,
आज तुझको पुकारती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती,
स्वर्ग ने थी जिस तपोवन की,
उतारी आरती,
जय भारती जय भारती,
जय भारती जय भारती।
जय भारती जय भारती || Jay Bharti Jay BHarti || राष्ट्रभक्ति गीत || जय भारती जय भारती लिरिक्स Jay Bharati Jay Bharti Lyrics
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जय भारती जय भारती
जय भारती जय भारती
स्वर्ग ने थी जिस तपोवन की उतारी आरती॥
ज्ञान-रवी-किरणें जहाँ फूटीं प्रथम विस्तृत भुवन में
साम्य सेवा भावना सरसिज खिला प्रत्येक मन में
मृत्यु को भी जो अमर गीता गिरा ललकारती
॥जय भारती॥
ध्यान में तन्मय जहाँ योगस्थ शिव सा है हिमालय
कर रही झंकार पारावार वीणा दिव्य अव्यय
कोटि जन्मों के अधों को जाह्नवी है तारती
॥ जय भारती॥
कंस सूदन का सुदर्शन राम के शर भीम भैरव
त्याग राणा का शिवा की नीति बंदा का समर रव
ज्वाल जौहर की शिखा जिसकी विजय उच्चारती
॥जय भारती॥
असुर-वंश-विनासिनी तू खंग खप्पर धारणी माँ
ताण्डवी उस रुद्र् की तू अट्टहास विहारिणी माँ
शत्रु-दल की मृत्यु बेला आज तुझको पुकारती
॥जय भारती॥
जय भारती जय भारती
स्वर्ग ने थी जिस तपोवन की उतारी आरती॥
ज्ञान-रवी-किरणें जहाँ फूटीं प्रथम विस्तृत भुवन में
साम्य सेवा भावना सरसिज खिला प्रत्येक मन में
मृत्यु को भी जो अमर गीता गिरा ललकारती
॥जय भारती॥
ध्यान में तन्मय जहाँ योगस्थ शिव सा है हिमालय
कर रही झंकार पारावार वीणा दिव्य अव्यय
कोटि जन्मों के अधों को जाह्नवी है तारती
॥ जय भारती॥
कंस सूदन का सुदर्शन राम के शर भीम भैरव
त्याग राणा का शिवा की नीति बंदा का समर रव
ज्वाल जौहर की शिखा जिसकी विजय उच्चारती
॥जय भारती॥
असुर-वंश-विनासिनी तू खंग खप्पर धारणी माँ
ताण्डवी उस रुद्र् की तू अट्टहास विहारिणी माँ
शत्रु-दल की मृत्यु बेला आज तुझको पुकारती
॥जय भारती॥