मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी,काहे को ब्याही विदेश।
जिस दिन पिताजी मेरा जन्म हुआ था,
मेरी मइया पड़ी बेहोश पिताजी
काहे को ब्याही विदेश,
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश।
जिस दिन पिताजी मेरी छठी पुजी थी,
बैठी में मईया की गोद पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश,
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश।
दिन दिन पिताजी मेरी लगन लिखी,
बैठी मैं सखियों के बीच पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश,
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश।
जिस दिन पिताजी मेरी भांवर पड़ी थी,
बैठी में पंचों के बीच पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश,
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश।
दिन दिन पिताजी मैं विदा हुई थी,
मेरी मईया ने खाई पछाड़ पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश,
मेरे ही कर्मो का दोष पिताजी,
काहे को ब्याही विदेश।
लोक गीत श्रेणी : लोकगीत Lokgeet/Folk Song
Mere Hi Karmo Ka Dosh Pitaji,
Kahe Ko Byahi Videsh.
Kahe Ko Byahi Videsh.