मैं बंजारा श्याम का घुमु देश परदेश

मैं बंजारा श्याम का घुमु देश परदेश

मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश,
मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश।

इक झोला कंधे पे जिस में,
श्याम भजन की पोथी है,
इस पोथी में श्याम नाम के,
कितने हीरे मोती है,
जब श्याम दीवाने मिलते,
उन्हें करता हु मैं भेंट,
मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश।

आज यहा कल वहा ठिकाना,
इस नगरी कभी उस नगरी,
जाऊ जहा वही मिलती है,
श्याम की बगियाँ हरी भरी,
जो श्याम शरण में रहते,
उन्हें कोई नही कलेश,
मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश।

नित नया दरबार लगा कर,
मिलता श्याम सलोना है,
नये नये रूपों में मूझपे,
करता जादू टोना है
मुझको दर्शन देता है,
मुझको बदल बदल के वेश,
मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश।

जीवन में रंग भरने वाले,
कारीगर को क्या दू मैं,
दिल भी इसका जान भी इसकी,
इसके लिए क्या त्यागु मैं,
बीनू पर दृष्टि दया की,
ये रखता नित हमेश,
मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश।

मैं बंजारा श्याम का,
घुमु देश परदेश,
मेरे साथ साथ में हर दम,
चलता है खाटू नरेश।



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