मङ्गलमंजुलगीतं भजन

मङ्गलमंजुलगीतं भजन

श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए ।
कलितललितवनमाल जय जयदेव हरे ॥ १॥
दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए ।
मुनिजनमानसहंस जय जयदेव हरे ॥ २॥
कालियविषधरभञ्जन जनरञ्जन ए ।
यदुकुलनलिनदिनेश जय जयदेव हरे ॥ ३॥
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए ।
सुरकुलकेलिनिदान जय जयदेव हरे ॥ ४॥
अमलकमलदललोचन भवमोचन ए ।
त्रिभुवनभवननिधान जय जयदेव हरे ॥ ५॥
जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए ।
समरशमितदशकण्ठ जय जयदेव हरे ॥ ६॥
अभिनवजलधरसुन्दर धृतमन्दर ए ।
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जयदेव हरे ॥ ७॥
तव चरणे प्रणता वयं इति भावय ए ।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जयदेव हरे ॥ ८॥
श्रीजयदेवकवेरिदं कुरुते मुदम् ए ।
मङ्गलमंजुलगीतं जय जयदेव हरे ॥ ९॥
मंगलगीतम—-जय जय देव हरे
(श्री जयदेव रचित आरती जो जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी को अत्यंत प्रिय है। विशेष पूजा के अवसर पर वे इसी आरती को बड़ी भक्ति भाव से गाते हैं।)
श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए।
कलितललितवनमाल जय जय देव हरे।।
दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए।
मुनिजनमानसहंस जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
कालियविषधरगंजन जनरंजन ए।
यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए।
सुरकुलकेलिनिदान जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।
अमलकमलदललोचन भवमोचन ए।
त्रिभुवनभवननिधान जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।
जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए।
समरशमितदशकण्ठ जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
अभिनवजलधरसुन्दर धृतमन्दर ए।
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे। श्रित.. ।।
श्रीजयदेवकवेरुदितमिदं कुरुते मृदम्।
मंगलमंजुलगीतं जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।




मंगलगीतम्—जय जय देव हरे(श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल -श्री जयदेवरचित)- by smshastri
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