पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा।
नर शरीर अनमोल रे प्राणी प्रभु कृपा से पाया है,
झूठे जग प्रपंच में पड़ कर क्यों प्रभु को बिसराया है, समय हाथ से निकल गया तो, समय हाथ से निकल गया तो सिर धुन धुन पछतायेगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा, पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा।
devotional Bhajan Lyrics in Hindi
दौलत का अभिमान है झूठा यह तो आनी जानी है, राजा रंक अनेक हुए कितनो की सुनी कहानी है, राम नाम प्रिय महामंत्र ही, राम नाम प्रिय महामंत्र ही साथ तुम्हरे जायेगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा, राम नाम के साबुन से जो, राम नाम के साबुन से जो मन का मैल छुड़ाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा, पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा।
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पायेगा।
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