अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
तू अजर अमर अज निराकार परमेश्वर
देह कभी न धरै
बिन हाथ पैर के दुनिया में अनगिन
कितने कर्म करे
हर जगह पे भगवन वास तेरा
महा प्रलय हो तौ भी न मरे
तू पिता सभी है पुत्र तेरे भोजन दे
सबका पेट भरे
डर जिसे तेरा वो निडर हुआ
दुनिया सै बिलकुल भी न डरे
जिसकी लौ तुझसे लगी रहे
सुख दे उसके सब दुःख हरे
हाकिम तू सारी दुनिया का कोई
हुकुम तेरा टाले न टले
जो दीन बन्धु तेरी याद करे
वो पल भर में भव सिन्धु तरै
सुख निधान जग फुल बगिया
प्रभु तुही माली है
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
किसी पेड़ पर फल लटकैं और
किसी के ऊपर लगे फरी
कही ऊँचे टीले चमक रहे
कहीं नीची भूमि करतार करि
कही खाक उड़े है बेशुमार कहीं घास
खड़ी है हरी हरी
धना विपन और कहीं पे उजड़
कहीं पे खुश्की कही तरी
हाय हाय कही वाह वाह
कही खैर ख़ुशी कही परि मरी
गीत गवै कही चिता जरी
कही द्वार पै नौवत बाज रही
कहीं घर में अखियाँ नीर भरी
प्रभु धन्य धन्य तेरी कारीगरी
कहीं अँधेरा किसी के घर में रोज दिवाली है
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
कभी कोई शहनशाह बना दिया
कोई टुकड़े मांगे दर दर पे
कोई बना दिया बेखौप खतर
कोई वक़्त गुजारे डर डर के
कोई हसे कहेका मार मार
कोई रोवै आंसू भर भर के
कोई गुजर करे कोई मौज करे
अपने सर बोझा धर धर के
कोई देख किसी को ख़ुशी रहे
कोई मिला ख़ाक में जर जर के
मुनियों के मन माया तेरी मोहने वाली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है
कहीं खार पड़े है धरती में कहीं
ऊँची शिखर पहाड़ों की,
कही गर्मी ने तन गर्म किया
कहीं शान दिखा दी जाड़ों की,
कही झील बना दी बड़ी बड़ी
कहीं शोभा छोटे तालों की,
कही बड़े समुन्द्र नीर भरे कहीं
छाँव है नद्दी नालों की,
कही रेगिस्तान बड़े भारी
कहीं शोभा प्यारी बागो की,
कही कोयल कू कु शब्द करे
कहीं काव काव है कागो की,
कही दिन का सूरज निकल रहा
कहीं रात है रंगत तारों की,
कही कोई शहर वीरान हुआ
कहीं शान बुलंद बाजारों की,
कोई है गोरा किसी की बिलकुल काया काली है,
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
कोई चले नही बिन मोटर के
कोई नंगे पैरो भाग रहा
कहीं ढेर पड़े जर जेवर के
कोई क़र्ज़ किसी से मांग रहा,
कोई किसी का दुश्मन बन बैठा
कोई प्रेम किसी से पाल रहा,
कोई दुर्जन जन्म बिगाड़ रहा
कोई सज्जन धार बैराग रहा,
कोई महलों की अभिलाष करे
कोई बनी हवेली त्याग रहा,
तेरी नजर में सब दुनिया की देखा भाली है,
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है,
कुल जहाँ में तेरा जलवा है
तुझसा जल्वेगर कोई नही,
हर अफसर का तू अफसर है
पर तेरा अफसर कोई नही,
ईश्वर तेरी शानी का दुनिया में
दिलावर कोई नही,
जिसने ली शरण तेरी उसको,
खौप खता कोई डर ही नही,
तू सबके भीतर बहार है पर
तुझसे बाहर कोई नही,
तू मात पिता तू स्वामी सखा,
तेरे बराबर कोई नही,
भारत सिंह के कष्ट हरो
क्यूँ देर लगा ली है।
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
तू अजर अमर अज निराकार परमेश्वर
देह कभी न धरै
बिन हाथ पैर के दुनिया में अनगिन
कितने कर्म करे
हर जगह पे भगवन वास तेरा
महा प्रलय हो तौ भी न मरे
तू पिता सभी है पुत्र तेरे भोजन दे
सबका पेट भरे
डर जिसे तेरा वो निडर हुआ
दुनिया सै बिलकुल भी न डरे
जिसकी लौ तुझसे लगी रहे
सुख दे उसके सब दुःख हरे
हाकिम तू सारी दुनिया का कोई
हुकुम तेरा टाले न टले
जो दीन बन्धु तेरी याद करे
वो पल भर में भव सिन्धु तरै
सुख निधान जग फुल बगिया
प्रभु तुही माली है
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
किसी पेड़ पर फल लटकैं और
किसी के ऊपर लगे फरी
कही ऊँचे टीले चमक रहे
कहीं नीची भूमि करतार करि
कही खाक उड़े है बेशुमार कहीं घास
खड़ी है हरी हरी
धना विपन और कहीं पे उजड़
कहीं पे खुश्की कही तरी
हाय हाय कही वाह वाह
कही खैर ख़ुशी कही परि मरी
गीत गवै कही चिता जरी
कही द्वार पै नौवत बाज रही
कहीं घर में अखियाँ नीर भरी
प्रभु धन्य धन्य तेरी कारीगरी
कहीं अँधेरा किसी के घर में रोज दिवाली है
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
कभी कोई शहनशाह बना दिया
कोई टुकड़े मांगे दर दर पे
कोई बना दिया बेखौप खतर
कोई वक़्त गुजारे डर डर के
कोई हसे कहेका मार मार
कोई रोवै आंसू भर भर के
कोई गुजर करे कोई मौज करे
अपने सर बोझा धर धर के
कोई देख किसी को ख़ुशी रहे
कोई मिला ख़ाक में जर जर के
मुनियों के मन माया तेरी मोहने वाली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है
कहीं खार पड़े है धरती में कहीं
ऊँची शिखर पहाड़ों की,
कही गर्मी ने तन गर्म किया
कहीं शान दिखा दी जाड़ों की,
कही झील बना दी बड़ी बड़ी
कहीं शोभा छोटे तालों की,
कही बड़े समुन्द्र नीर भरे कहीं
छाँव है नद्दी नालों की,
कही रेगिस्तान बड़े भारी
कहीं शोभा प्यारी बागो की,
कही कोयल कू कु शब्द करे
कहीं काव काव है कागो की,
कही दिन का सूरज निकल रहा
कहीं रात है रंगत तारों की,
कही कोई शहर वीरान हुआ
कहीं शान बुलंद बाजारों की,
कोई है गोरा किसी की बिलकुल काया काली है,
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
कोई चले नही बिन मोटर के
कोई नंगे पैरो भाग रहा
कहीं ढेर पड़े जर जेवर के
कोई क़र्ज़ किसी से मांग रहा,
कोई किसी का दुश्मन बन बैठा
कोई प्रेम किसी से पाल रहा,
कोई दुर्जन जन्म बिगाड़ रहा
कोई सज्जन धार बैराग रहा,
कोई महलों की अभिलाष करे
कोई बनी हवेली त्याग रहा,
तेरी नजर में सब दुनिया की देखा भाली है,
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है,
कुल जहाँ में तेरा जलवा है
तुझसा जल्वेगर कोई नही,
हर अफसर का तू अफसर है
पर तेरा अफसर कोई नही,
ईश्वर तेरी शानी का दुनिया में
दिलावर कोई नही,
जिसने ली शरण तेरी उसको,
खौप खता कोई डर ही नही,
तू सबके भीतर बहार है पर
तुझसे बाहर कोई नही,
तू मात पिता तू स्वामी सखा,
तेरे बराबर कोई नही,
भारत सिंह के कष्ट हरो
क्यूँ देर लगा ली है।
अजब निराली,
अजब निराली अजब निराली है
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है।
प्रभु लीला तेरी अजब निराली है लिरिक्स Prabhu Leela Teri Ajab Nirali Hai Lyrics, Devotional Bhajan
प्रभु की लीला अकथनीय और अज़ब है-"प्रभु लीला तेरी अजब निराली है" यह एक हिंदी भजन है जो प्रभु की लीलाओं की अद्भुतता और अजीबता की प्रशंसा करता है। भजन में, कवि प्रभु की शक्ति और महिमा को दर्शाने के लिए विभिन्न उदाहरणों का उपयोग करता है।
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