इतने देव जहा में पूजे जाते हैं, पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं, इतने देव जहा में पूजे जाते हैं, पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं।
शिव गोरा के लाल कहे जाते हैं, विघ्न विनाशक यही कहे जाते हैं, इतने देव जहा में पूजे जाते हैं, पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं।
चिंतामन चिंता,
हरे चिंता भला कैसे, मिट्टी को भला सोना कर दे, उनकी कृपा ऐसी, महाकाल नगरी में बिराजे, चिंतामण महाराज, बन रहे देखो यहां सब, के बिगड़े काज, भक्तों के दुख यह पे, बदले जाते हैं, पृथमे तो गणराज्य मनाये जाते हैं।
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देवास की नगरी में भी, धाम बड़ा प्यारा, नागदा में सज रहा, गणराज्य का द्वारा, हे तेरी महिमा निराली पार्वती नंदन, हो रहा सारे जग में आप का बंधन, देवी देवता सभी रिझाए जाते हैं, पृथमे तो गणराज्य मनाये जाते हैं।
बैठे हैं इंदौर में भी रूप नया धरके, खजराना गणेश भी,
भंडार भरे घर के, दे दो अब तुम जयंत को भी, ज्ञान का सागर, खुश रहे लवप्रीत भी, महिमा तेरी गाकर, जयकारे सबके ही लगाए जाते हैं, पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं।
पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं, शिव गोरा के लाल काहे जाते हैं, पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं, विघ्न विनाशक यही कहाये जाते हैं, पृथमे तो गणराज मनाये जाते हैं।