रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन भजन

रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन भजन

रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन,
कौशल्या सुत श्री राम को,
न्यौछावर तन मन धन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन।

प्रगट भये जब दीनदयाला,
कौशल्या हिय हर्ष भारी,
दशरथ कैकई सुमित्रा हरषे,
अयोध्या भई पुलकित सारी,
विष्णु का अवतरण देखत,
हर्षे गौरी संग त्रिपुरारी,
नभचर किन्नर देवगण सब,
की जे रामनवमी का वंदन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन।

बाल काल मे सर्व बिद्या,
राम गुरु वशिष्ठ से पाये,
सिया संग विवाह बंधन,
धनुष खण्डन  से पाये,
पितु मात का मान रखके,
चौदह वर्ष बनवास आये,
रावण के संहार करके,
रावण के संहार करके,
सिय का मुक्त किया बंधन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन।

रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन,
कौशल्या सुत श्री राम को,
न्यौछावर तन मन धन,
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूं अभिनंदन।

भजन श्रेणी : राम भजन (Ram Bhajan)


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