राम जी की इच्छा समझकर स्वीकार

राम जी की इच्छा समझकर स्वीकार

कभी खुशी के आँसू आंखों में,
कभी दुख के आँसू आंखों में,
कभी खुशी के आँसू आंखों में,
कभी दुख के आँसू आंखों में,
कभी फूल खिले हों राहों में,
कभी शूल बिछे हों राहों में,
जो भी मिले जितना भी मिले,
ना इनकार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये।

जितना मिला है उसमें,
ही खुश रह ले प्राणी,
बेमतलब क्यूँ रोता है,
जिस बर्तन को समझे,
आधा खाली तू,
वो आधा भरा होता है,
देने वाले से कभी ना शिकवा,
तकरार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये।

मायावी संसार में,
हर प्राणी कुछ पाता है,
और कुछ खोता है,
कोई कुछ भी चाहे,
पर राम जो चाहे,
वो सब होता है,
कम मिले या ज्यादा मिले,
सदा सत्कार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये।

राम नाम रटने से,
जीवन में सब कुछ आता है,
तन मन और धन बढ़ता है,
मन को निश्छल रखने से,
सारी खुशिया आतीं हैं,
और दुःख सारा घटता है,
निशदिन अपने राम जी का,
आभार करना चाहिए,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिए,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिए।

कभी खुशी के आँसू आंखों में,
कभी दुख के आँसू आंखों में,
कभी खुशी के आँसू आंखों में,
कभी दुख के आँसू आंखों में,
कभी फूल खिले हों राहों में,
कभी शूल बिछे हों राहों में,
जो भी मिले जितना भी मिले,
ना इनकार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये,
राम जी की इच्छा समझकर,
स्वीकार करना चाहिये।

भजन श्रेणी : राम भजन (Ram Bhajan)


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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