सीता हरण भजन लिरिक्स Sita Haran Prasang Lyrics, Shri Ram Sita Bhajan by Singer - Anurag Maura,
जब श्री राम जी ने देखा कीकुटिया में सीता है ही नहीं,
किसी ने उनका हरण कर लिया है
तो श्री राम व्याकुल हो उठे
और फिर वो लक्ष्मण से बोले...
ना बदरिया में पानी,
ना धरा की बेईमानी,
फिर कौन,
किया है सीता हरण,
ना बदरिया में पानी,
ना धरा की बेईमानी,
फिर कौन,
किया है सीता हरण,
बोलो कुछ तो,
बोलो मेरे लक्ष्मण,
कौन किया है सीता हरण,
कौन किया है सीता हरण।
राम तो गये थे,
मृग वध करने,
बोल गये थे सिय को,
अकेला ना छोड़ना,
राम के पुकारने,
की आवाज आई,
बोले लक्ष्मण किये,
इसलिए अवहेलना,
सिय रक्षा के आतुर,
रेखा खिंच गये थे लक्ष्मण,
कौन किया है सीता हरण,
कौन किया है सीता हरण।
घायल पड़े जटायु,
दर्द से कराहते,
राम ने पूछा किसने,
की ऐसी हालत,
जटायु ने बोला,
सिय को ले के,
गया रावण,
कर दी उसी ने राम,
मेरी ऐसी दुर्गत,
राम सिय को बचाओ,
आन पड़ा हूं,
मैं आपकी शरण,
रावण ने ही,
किया है सीता हरण,
रावण ने ही,
किया है सीता हरण,
सीता हरण,सीता हरण।
भजन श्रेणी : राम भजन (Ram Bhajan)