साखी— घायल की गति ओर है,ओरान की गति ओर , प्रेम बान हिर्दे लगा,तो रहा कबीरा धोय ।। चिट चेतन लागी रही ने, लोकि करे लगाम , शब्द गुरु का ताजना,और पोहचे संत सुजान।।
भजन लागयो थारो जम संग बेर , काया , भजन गढ़ बांध लो रे भाई,
सुमिरण गढ़ साध लो रे भाई॥टेक।। म्हारा साधू भाई , गाफ़िल-गाफ़िल कई फ़िरे रे ? हे घर आँगन थारो बैर , संतों रे भाई आठों आठों पहर भरम मांय भुल्या रे भाई किस विध होगा थारी खैर , काया ? भजन गढ़ बांध।। म्हारा साधू भाई , घड़ी बंधाई ले गुरु ज्ञान की , हे नीचल नीम रलाओ , संतों रे भाई
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
हाँ , अच्छा अच्छा नाम ( गुरुजी का नाम ) हृदय के मांई ( भीतर ) राखो रे भाई इस विध होगा थारी खैर , काया । भजनगढ़ बांध ....॥ म्हारा साधू भाई , तन घोड़ा मन झामकी रे सुरत पलीता घणा खाय , संतों रे भाई हाँ , सुमिरण का तम सैल बनईलो साधो इस विध जम ने भगाओ ( हटाओ ), काया ॥भजनगढ़ बांध,
म्हारे साधू भाई , ऐसा मनसुबा जो करे ( होएगा ) रे घर घर आनंद होए , संतों रे भाई हाँ मनसुख दास शरण सदगुरु की भाई , आवा गमन मिट जाए , काया । भजनगढ़ बांध ...॥
घायल की गति ओर है,ओरान की गति ओर , प्रेम बान हिर्दे लगा,तो रहा कबीरा धोय ।। चिट चेतन लागी रही ने, लोकि करे लगाम , शब्द गुरु का ताजना,और पोहचे संत सुजान।।
भजन गड़ बांधलो रे भाई || Bhajan Gad Bandhalo Re Bhai || By Prahlad Singh Tipanya