होली खेलन आयो रे कान्हा
होली खेलन आयो रे कान्हा,
राधा क्यों चढ़ के अटरिया,
काहे को शर्माये रे,
होली खेलन आयो रे कान्हा।
सुबह सवेरे तुमने उठ कर,
द्वारे रची रंगोली,
इतराते तुम घूम रहे थे,
आयेगे हम जोली,
मन की मुराद तेरी हुई पूरी,
हमजोली आये,
होली खेलन आयो रे कान्हा।
घेर खड़ी कान्हा को गोपी,
देख तेरे बरसाने की,
लेकिन साधे कान्हा केवल,
तुम्हे ही रंग लगाने की,
काहे को तड़पे तू भी बावरी,
कहे उसे तड़पाये रे,
होली खेलन आयो रे कान्हा।
एक वर्ष तू जिसको तरसे,
होली है ये होली,
आज भी तुम शर्माती रही तो,
होली तो फिर होली,
बाहर निकल के देख सांवरिया,
बैठे आस लगाये,
होली खेलन आयो रे कान्हा।
होली खेलन आयो रे कान्हा,
राधा क्यों चढ़ के अटरिया,
काहे को शर्माये रे,
होली खेलन आयो रे कान्हा।होली खेलन आयो रे कान्हा,
राधा क्यों चढ़ के अटरिया,
काहे को शर्माये रे,
होली खेलन आयो रे कान्हा।
Holi Song 2022 - होली खेलन आयो कान्हा - अबतक का सबसे सुपर हिट गाना | Meenakshi P Verma
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