अब मान भी ले मनवा भजन

अब मान भी ले मनवा भजन

क्यों अपनों पे तू इतराए,
जाएगा कोई संग ना,
अब मान भी ले मनवा,
मान भी ले,
मान भी ले मनवा।।

जीव जंतु से मानव बनाया,
कर कृपा फिर नाम लखाया,
कभी संतों के ढिग तू न आया,
मिली वस्तु को दाग लगाया,
हरि नाम का रंग है सांचा,
दूजा कोई रंग ना,
अब मान भी ले मनवा।।

यहाँ दौलत के सब हैं पुजारी,
बड़ी मतलब की है दुनियादारी,
बिन मतलब के कोई न पूछे,
चाहे सुत हो या नारी तुम्हारी,
समय अनोखा फिर न मिलेगा,
कर ले जो है करना,
अब मान भी ले मनवा।।

आए विपदा तुम्हारे जो सिर पे,
आएगा न कोई तेरे घर से,
मांग न ले कहीं तू खजाने,
आएगा न कोई इस डर से,
मुक्त किया है गुरु ने तुझको,
बंधन में 'शिव' बंध ना,
अब मान भी ले मनवा।।

क्यों अपनों पे तू इतराए,
जाएगा कोई संग ना,
अब मान भी ले मनवा,
मान भी ले,
मान भी ले मनवा।।


तर्ज-आन मिलो सजना-हर दिन सुने जी ये गीत|| अब मान भी ले मनवा ||New Nirankari Song ‪@GuruMahimaBhakti‬

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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