कितनी कमी हैं तेरे बगैर

कितनी कमी हैं तेरे बगैर

मैं क्या बताऊँ कितनी कमी हैं तेरे बगैर,
दुनिया उदास लगने लगी हैं तेरे बगैर,
आजा आजा आजा आजा।

आजा के आज जशन महोबत की शाम हैं,
महफ़िल तमाम सुनी पड़ी हैं तेरे बगैर,
मैं क्या बताऊँ कितनी कमी हैं तेरे बगैर।

दामन भीगों दिया हैं तेरे इंतजार में,
आँखों में आंसुओ की लड़ी हैं तेरे बगैर,
मैं क्या बताऊँ कितनी कमी हैं तेरे बगैर।

दिल का अकेलापन कही पागल बना ना दे,
तन्हाई अब तो रोने लगी हैं तेरे बगैर,
मैं क्या बताऊँ कितनी कमी हैं तेरे बगैर।

जो बात दिल से निकलती हैं, वो असर करती हैं,
जो बात जुबान नही करती, वो नजर करती हैं,
मैं क्या बताऊँ कितनी कमी हैं तेरे बगैर,
दुनिया उदास लगने लगी हैं तेरे बगैर,
आजा आजा आजा आजा।



Kitni Kami Hai Tere Bagair | कितनी कमी है तेरे बगैर| Arzoo Bano

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