पीयू जी बिना म्हारा प्राण पड़े म्हारी हेली लिरिक्स Piyu Ji Bina Mhara Pran Lyrics
पीयू जी बिना म्हारा प्राण पड़े म्हारी हेली लिरिक्स Piyu Ji Bina Mhara Pran Lyrics, Piyu Ji Bina Mhara Pran Pade Mhari Heli
बिरहणी देय संदेशरो,सुनो हमारे पीव।जल बीन मछली क्यों जिये,ये पानी में का जीव।।
वीरह तेज तन में तपे, अंग रहा अकुलाय।
घट सुना जीव पीव में, वहां मौत ही ढूंडी जाय।।
बिरहणी जलती देख के, सांई आए धाय।
प्रेम बूंद छीटकाय के, मेरी जलती लेय बुझाय।।
भजन
पीयू जी बीना म्हारो प्राण पड़े म्हारी
हेली,जल बिन मछली मरे,
कौन मिलावे म्हारा राम से म्हारी हेली,
ऐ रोई रोई रुदन करां म्हारी हेली वो
चलो हमारा देश, म्हाने लाग्यो
भजन वालों बाण म्हारी हेली वो
आवो गुराजी का देश...
के तो सूती थी रंग महल में म्हारी
हेली जाग्या रे जतन कराय
कौन मिलावे म्हारा पीव से म्हारी
हेली रोई रोई रुदन करां म्हारी
हेली वो (आवो)चलो गुरा का देश…
छोड़ी दो पियर सासरो म्हारी
हेली छोड़ी दो रंग भर सेज छोड़ो
पितांबर ओढ़नो म्हारी हेली कर ली जो
भगमो भेस म्हारी हेली वो चालो गुरा जी का देश…
एक भाण की क्या पड़ी म्हारी हेली
करोड़ भाण को प्रकाश साहेब कबीर
धरमी बोलिया म्हारी हेली यो तो शूली रे
वालो देश..म्हारी हेली वो आवो गुराजी का देश...
बिरहणी देय संदेशरो,सुनो हमारे पीव।
जल बीन मछली क्यों जिये,ये पानी में का जीव।।
वीरह तेज तन में तपे, अंग रहा अकुलाय।
घट सुना जीव पीव में, वहां मौत ही ढूंडी जाय।।
बिरहणी जलती देख के, सांई आए धाय।
प्रेम बूंद छीटकाय के, मेरी जलती लेय बुझाय।।