जब ते राम ब्याही घर आये लिरिक्स Ramayan Choupaiya Lyrics, श्री रामचरितमानस की चौपाइयां लिरिक्स घर की दरिद्रता को दूर करने के लिये श्री रामचरितमानस की चौपाइयां लिरिक्स
श्री गुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि,
बरनउँ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि।
जब ते राम ब्याही घर आये,
नित नव मंगल मोद बधाये,
भुवन चारी दस बूधर भारी,
सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी।
रिद्धी सिद्धी संपति नदी सूहाई,
उमगि अव्धि अम्बूधि तहं आई,
मणिगुर पूर नर नारी सुजाती,
शूचि अमोल सुंदर सब भाँति।
कही न जाई कछू इति प्रभूति,
जनू इतनी विरंची करतुती,
सब विधि सब पूरलोग सुखारी
रामचन्द्र मुखचंद्र निहारी।
मुदित मातु सब सखीं सहेली,
फलित बिलोकि मनोरथ बेली,
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ,
प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।
निज मनु मुकुरु सुधारि,
बरनउँ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि।
जब ते राम ब्याही घर आये,
नित नव मंगल मोद बधाये,
भुवन चारी दस बूधर भारी,
सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी।
रिद्धी सिद्धी संपति नदी सूहाई,
उमगि अव्धि अम्बूधि तहं आई,
मणिगुर पूर नर नारी सुजाती,
शूचि अमोल सुंदर सब भाँति।
कही न जाई कछू इति प्रभूति,
जनू इतनी विरंची करतुती,
सब विधि सब पूरलोग सुखारी
रामचन्द्र मुखचंद्र निहारी।
मुदित मातु सब सखीं सहेली,
फलित बिलोकि मनोरथ बेली,
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ,
प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।
जब ते राम ब्याही घर आये,
नित नव मंगल मोद बधाये,
भुवन चारी दस बूधर भारी,
सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी।
घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए सुनें - श्री रामचरितमानस की चौपाइयां | Ramayan Chaupai
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