अब तमन्ना नहीं मांगने की मुझको साईं भजन

अब तमन्ना नहीं मांगने की मुझको साईं भजन

अब तमन्ना नहीं मांगने की मुझको,
ख़रात इतनी मिली है।
सिर झुका है तेरे दर पर मेरा,
बन्दगी अब मेरी ज़िंदगी है।

पल भर में मेरी सोई तकदीर जगाई,
बरसै दया-रेहमत तूने मेरे साईं।
तुझसे ही मिला मेरे जीवन को सहारा,
शिरडी का बादशाह है, तूने लाखों को तारा।
बेबसों का ठिकाना है ये साईं का द्वार,
नाज़ करता हूँ किस्मत पे अपनी,
तूने सौगात इतनी जो दी है।
अब तमन्ना नहीं मांगने की मुझको।

जब संकटों ने पल-पल आ मुझको था घेरा,
आया जो मेरे काम बस नाम था तेरा।
तूने ही तूफ़ान रोका, करामात दिखाई,
जिसका नहीं है कोई, उसका तू है साईं।
लाखों को भव तारा, बिगड़ी बात बनाई,
ये अँधेरे में थी ज़िंदगानी।
साईं तूने ही दी रोशनी है,
अब तमन्ना नहीं मांगने की मुझको।

तेरे कर्म ने बदली है ये मेरी ज़िंदगी,
रग-रग में साईं बस गई है तेरी बन्दगी।
भर-भर के पाया, पैने तुमसे ही खजाना,
ना छोड़ना भवर में साईं, तू न भूलना।
तेरे बिना न साईं, मैंने तुझको ही माना।
क्या इनायत मुझपे बरसी,
खिल गई मेरे मन की कली है।
अब तमन्ना नहीं मांगने की मुझको।


Ab Tamanna Nahin By Pankaj Raj [Full HD Song] I Sai Faqeer Ka Deewana

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About Bhajan -

Sai Bhajan: Ab Tamanna Nahin
Album Name: Sai Faqeer Ka Deewana
Singer: Pankaj Raj 
Music Director: Jeetu
Lyricist: Pankaj Raj
Music Label: T-Series
 
जब जीवन में सच्चा संतोष और आत्मिक तृप्ति मिल जाती है, तब इच्छाएँ स्वतः शांत हो जाती हैं। मनुष्य को अनुभव होता है कि जो कुछ भी उसे मिला है, वह किसी दिव्य कृपा का परिणाम है—उससे अधिक माँगना अब आवश्यक नहीं लगता। यह भाव केवल भौतिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि भीतर की गहराई से उपजता है, जब आत्मा को अपने अस्तित्व का आधार और सहारा मिल जाता है। कठिनाइयों और संकटों के समय, जब हर ओर निराशा छा जाती है, तब एक अदृश्य शक्ति आकर जीवन की दिशा बदल देती है। उस कृपा के अनुभव के बाद मनुष्य का सिर श्रद्धा से झुक जाता है और उसकी भक्ति ही उसकी सबसे बड़ी पूँजी बन जाती है।

भक्ति का यह भाव जीवन को नए रंग और अर्थ से भर देता है। जब मनुष्य अपने जीवन के हर उतार-चढ़ाव, हर तूफान और हर कठिनाई में किसी दिव्य नाम या शक्ति का सहारा पाता है, तो उसके भीतर अडिग विश्वास और गहरा प्रेम जन्म लेता है। यह विश्वास उसे हर अंधेरे में रोशनी दिखाता है और हर असंभव को संभव बना देता है। जब आत्मा को यह बोध हो जाता है कि उसका जीवन किसी दयालु शक्ति के संरक्षण में है, तब वह किसी भी परिस्थिति में डगमगाती नहीं। यही वह अवस्था है, जब व्यक्ति को लगता है कि उसे अब कुछ भी माँगने की आवश्यकता नहीं—क्योंकि उसे सब कुछ मिल चुका है, और उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, उसका समर्पण और भक्ति।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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