कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना लिरिक्स Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Lyrics
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,निर्धन के घर भी आ जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना।
ना छत्र बना सका सोने का,
ना चुनरी घर मेरे तारों जड़ी,
ना पेड़े बर्फी मेवा है माँ,
बस श्रद्धा है नैन बिछाये खड़ी,
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ,
इस विनती को ना ठुकरा जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
जिस घर के दिये में तेल नहीं,
वहां जोत जगाऊं कैसे,
मेरा खुद ही बिछौना धरती माँ,
तेरी चोकी लगाऊं मैं कैसे,
जहाँ मैं बैठा वही बैठ के माँ,
बच्चों का दिल बहला जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
तू भाग्य बनाने वाली है,
माँ मै तकदीर का मारा हूँ,
हे दाती संभाल भिखारी को,
आखिर तेरी आँख का तारा हूँ,
मैं दोषी तू निर्दोष है माँ,
मेरे दोषों को तूं भुला जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना।
#नवरात्रि 🙏मै दोषी तू निर्दोष है माँ🙏🌹 #मातारानी का ये भजन दिल छू लेगा #matarani #navratrispecial
माता रानी के पवित्र नाम
- शैलपुत्री (Shailaputri) - शैलों की पुत्री, पहली रूप में माता दुर्गा
- ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) - ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाली, दूसरे रूप में माता दुर्गा
- चंद्रघंटा (Chandraghanta) - चांद के आकार की शंखमुखी माता, तीसरे रूप में माता दुर्गा
- कूष्मांडा (Kushmanda) - ब्रह्मांड के उत्पत्ति का कारण हैं, चौथे रूप में माता दुर्गा
- स्कंदमाता (Skandamata) - स्कंद की माता, पांचवे रूप में माता दुर्गा
- कात्यायनी (Katyayani) - कात्यायन ऋषि की पुत्री, छठे रूप में माता दुर्गा
- कालरात्रि (Kalaratri) - काली की जैसी भयंकर रूपवाली, सातवें रूप में माता दुर्गा
- महागौरी (Mahagauri) - बहुत उज्ज्वल रूप वाली, आठवें रूप में माता दुर्गा
- सिद्धिदात्री (Siddhidatri) - सिद्धियों की दात्री, नौवें रूप में माता दुर्गा
- नवदुर्गा (Navdurga) - नौ अवतारों में व्याप्त माता दुर्गा
दुर्गा माता के मन्त्र और उनका अर्थ :-
दुर्गा माता संस्कृत मंत्रों का उच्चारण करने से भक्त को भगवती दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए गए हैं:
अर्थ: हे भगवती दुर्गा, आप मंगल कारिणी, भद्रकाली, कपालिनी हैं। आप शिव और क्षमा की स्वामिनी हैं। हम आपको स्वाहा और स्वधा के साथ नमस्कार करते हैं॥
अर्थ: हे त्रिमूर्ति स्वरूपिणी श्री गौरी, आप सब प्रकार के मंगल कारण हैं। आप सबके लिए सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। हम आपकी शरण में हैं। हे गौरी नारायणी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥
अर्थ: हे देवी, आप सभी प्राणियों में शक्ति के स्वरुप में स्थित हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं॥
अर्थ: हे देवी, आप सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं॥
अर्थ: हे देवी गौरी, आप सब प्रकार के मंगल कारण हैं, शिव के साथ ही सभी लक्ष्मी और सरस्वती हैं। हम आपकी शरण में हैं। हे गौरी नारायणी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥
ये मंत्र दुर्गा माता के समर्पित हैं और भगवती के स्मरण करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
Meaning: O Goddess Durga, who resides in the form of every being in this world, I offer my salutations to you, again and again.
Meaning: O Devi Narayani, who is dedicated to protecting and rescuing those who seek your shelter, I offer my salutations to you, who removes the sufferings of all.
Meaning: O Devi Narayani, who is the auspiciousness of all that is auspicious, the one who fulfills all desires, and who is the refuge of all, I offer my salutations to you, who is the three-eyed Gauri.
Meaning: O Goddess Durga, who resides in the form of intelligence in every being in this world, I offer my salutations to you, again and again.
"ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।"
अर्थ: यह मंत्र माँ चामुण्डा के समर्पण में है। ह्रीं क्लीं एक बीज मंत्र है जो दुर्गा माता के साथ संबंधित है। इस मंत्र का जाप करने से भक्त के जीवन में सुख और शांति मिलती है।
"या देवी सर्वभूतेषु माँ शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
अर्थ: हे देवी, आप सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं॥
Meaning: O Devi Narayani, who is the auspiciousness of all that is auspicious, the one who fulfills all desires, and who is the refuge of all, I offer my salutations to you, who is the three-eyed Gauri.
Meaning: O Goddess Durga, who resides in the form of a mother in every being in this world, I offer my salutations to you, again and again.
दुर्गा माता संस्कृत मंत्रों का उच्चारण करने से भक्त को भगवती दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए गए हैं:
श्री दुर्गा मंत्र: "ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥"
अर्थ: हे भगवती दुर्गा, आप मंगल कारिणी, भद्रकाली, कपालिनी हैं। आप शिव और क्षमा की स्वामिनी हैं। हम आपको स्वाहा और स्वधा के साथ नमस्कार करते हैं॥
सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥"
अर्थ: हे त्रिमूर्ति स्वरूपिणी श्री गौरी, आप सब प्रकार के मंगल कारण हैं। आप सबके लिए सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। हम आपकी शरण में हैं। हे गौरी नारायणी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥
"या देवी सर्वभूतेषु माँ शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
अर्थ: हे देवी, आप सभी प्राणियों में शक्ति के स्वरुप में स्थित हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं॥
"या देवी सर्वभूतेषु माँ बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
अर्थ: हे देवी, आप सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं॥
"सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥"
अर्थ: हे देवी गौरी, आप सब प्रकार के मंगल कारण हैं, शिव के साथ ही सभी लक्ष्मी और सरस्वती हैं। हम आपकी शरण में हैं। हे गौरी नारायणी, हम आपको नमस्कार करते हैं॥
ये मंत्र दुर्गा माता के समर्पित हैं और भगवती के स्मरण करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
या देवी सर्वभूतेषु माँ दुर्गा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Meaning: O Goddess Durga, who resides in the form of every being in this world, I offer my salutations to you, again and again.
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
Meaning: O Devi Narayani, who is dedicated to protecting and rescuing those who seek your shelter, I offer my salutations to you, who removes the sufferings of all.
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
Meaning: O Devi Narayani, who is the auspiciousness of all that is auspicious, the one who fulfills all desires, and who is the refuge of all, I offer my salutations to you, who is the three-eyed Gauri.
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Meaning: O Goddess Durga, who resides in the form of intelligence in every being in this world, I offer my salutations to you, again and again.
"ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।"
अर्थ: यह मंत्र माँ चामुण्डा के समर्पण में है। ह्रीं क्लीं एक बीज मंत्र है जो दुर्गा माता के साथ संबंधित है। इस मंत्र का जाप करने से भक्त के जीवन में सुख और शांति मिलती है।
"या देवी सर्वभूतेषु माँ शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
अर्थ: हे देवी, आप सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं। हम आपको फिर से नमस्कार करते हैं॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
Meaning: O Devi Narayani, who is the auspiciousness of all that is auspicious, the one who fulfills all desires, and who is the refuge of all, I offer my salutations to you, who is the three-eyed Gauri.
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Meaning: O Goddess Durga, who resides in the form of a mother in every being in this world, I offer my salutations to you, again and again.