क्या करे इन हाथों का इतने इतने हाथ भजन

क्या करे इन हाथों का इतने इतने हाथ भजन

(मुखड़ा)
क्या करे इन हाथों का,
इतने-इतने हाथ,
कम से कम दो सिर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद।।

(अंतरा)
बड़ी सरकार हो, मैया,
हज़ारों हाथ वाली हो,
अगर तक़दीर से मेरे,
तेरे दो हाथ ख़ाली हो,
हाथों को भी काम मिले,
बन जाए मेरी बात,
कम से कम दो सिर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथों का।।

हाथ दो सिर पे रखकर, माँ,
अगर तुम भूल जाओगी,
फ़र्क कितना पड़ेगा, माँ,
अगर दो कम बताओगी,
दो की गिनती न करियो,
माँ, बाकी के साथ,
कम से कम दो सिर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथों का।।

हज़ारों हाथ रखवाते,
मगर ये बात काफ़ी है,
ये बेड़ा पार लगाने को,
तेरे दो हाथ काफ़ी हैं,
बाकी सारे याद रहे,
रहे न दोनों याद,
कम से कम दो सिर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथों का।।

हाथ, माँ, रखते ही तेरे,
ये आँसू गिर-गिर न जाएँ,
कलेजा ममता से तेरा,
अगर, माँ, भर-भर न जाए,
खींच लियो बनवारी, माँ,
सर से हाथों हाथ,
कम से कम दो सिर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथों का।।

(पुनरावृत्ति)
क्या करे इन हाथों का,
इतने-इतने हाथ,
कम से कम दो सिर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद।।
 


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