भोले अपनी नगरिया बुलालो हमको
बना लो हमको,
भोले अपनी नगरिया,
बुलालो हमको।
गंगा जल मैं भर भर लाऊ,
कार्तिक गणपति,
गोद खिलाऊ,
अपने बस हां की डोर,
थमा दो हम को,
भोले अपनी नगरिया,
बुलालो हम को।
तोड़ तोड़ लाऊ,
नित वेल की पतियाँ,
प्रेम से बनाऊ शिव,
भांग की गोलियां,,
भांग घोटने का पात्र,
थमा दो हम को,
भोले अपनी नगरिया,
बुलालो हमको।
हे त्रिभुवन पति,
शिव त्रिपुरारी,
कब लोगे सुधि,
शम्भू हमारी,
अपने चरणों की धुल,
बना लो हम को,
भोले अपनी नगरिया,
बुलालो हम को।
अपने चरणों का सेवक,
बना लो हमको,
भोले अपनी नगरिया,
बुलालो हमको
शिव भजनों में हो जाइए लीन...Bhole Apni Nagariya Bulalo Hum Ko | भोले अपनी नगरिया बुलालो हम...
जब मन भोलेनाथ के चरणों में लोटने को बेचैन हो जाता है, तो हर सांस में बस यही पुकार उठती है कि हमें उनका सच्चा सेवक बना लें। उनकी कृपा से जीवन की हर राह आसान लगने लगती है, जैसे कोई बच्चा मां की गोद में आकर सारी थकान भूल जाता है। हमें सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति में तोड़ना नहीं, जोड़ना आता है—गंगा का पवित्र जल भरकर लाना, कार्तिक और गणपति को गोद में खिलाना, बस एक डोर थमा दें तो सब कुछ संभल जाता है।
प्रेम से वेल की पत्तियां तोड़कर लाना, भांग की गोलियां बनाना, और घोटने का पात्र हाथ में थाम लेना—ये छोटे-छोटे काम ही तो भगवान को अपने घर बुलाने का जरिया बन जाते हैं। त्रिभुवनपति शिव त्रिपुरारी जब अपनी सुधि की ओर झांकते हैं, तो चरणों की धूल बन जाना सबसे बड़ा सौभाग्य लगता है। हमें दिखाते हैं कि उनकी नगरिया में पहुंचना मतलब हर दुख को भूलकर नाचने-गाने लगना, जहां हर कदम पर आह्लाद बरसता है।
Song : Bhole Apni Nagariya Bulalo Hum Ko
Singer : Tripti Sinha
Label : Sanskar Bhajan
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