हे नारायण मुझे बता दो निर्धन
धनवानो का मान जगत में,
निर्धन का सम्मान नहीं,
हे नारायण मुझे बता दो,
निर्धन क्या इंसान नहीं।
एक को देते सुख का साधन,
दूजे को दुख देते हो,
हम भी तो लेते नाम तुम्हारा,
हमको क्यों नहीं देते हो,
शाम सवेरे माला फेरे,
फिर कोई आराम नहीं,
हे नारायण मुझे बता दो,
निर्धन क्या इंसान नहीं।
किसी के पास में हीरा मोती,
किसी की फट रही धोती है,
कोई तो खावे दूध मलाई,
किसी को सूखी रोटी है,
कोई तो सोता टूटी झोपड़िया,
चारपाई में बांन नहीं,
हे नारायण मुझे बता दो,
निर्धन क्या इंसान नहीं।
तुम्हारी भक्ति करने से,
बेहतरनी भी तर जाते हैं,
सहारा कोई दे ना सके तो,
डूब भवर में जाते हैं,
हम गरीब को जहां पहुंचा दो,
सुखी रहे कोई दुखी नहीं,
नारायण हमें बता दो,
निर्धन क्या इंसान नहीं।
सत्य धर्म उठ गया यहां से,
झूठों को भरमाया है,
जिसके हाथ में होती लाठी,
वही भैंस ले जाता है,
प्रेमचंद कहे इसी भजन में,
बिना भजन उद्धार नहीं,
हे नारायण हमें बता दो,
निर्धन क्या इंसान नहीं।
धनवानो का मान जगत में,
निर्धन का सम्मान नहीं,
हे नारायण मुझे बता दो,
निर्धन क्या इंसान नहीं।
HEY NARYAN HUME BATA DO NIRDHAN KYA INSAAN NAI
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