मैं तो भरन गई थी नीर राम की सू

मैं तो भरन गई थी नीर राम की सू

मैं तो भरन गई थी नीर राम की सू,
गंगा जी के घाट राम की सू,
मैं तो भरन गई थी नीर राम की सू,
गंगा जी के घाट राम की सू।

आगे आगे कृष्ण चले,
पीछे चले सखियां,
इतने में भीड़ लग गयी,
गंगा के किनारे,
ए लगी कसूती,
भीड़ राम की सू,
मैं तो भरन गई थी,
नीर राम की सू,
गंगा जी के घाट राम की सू।

गंगा जी किनारे,
कृष्ण गाय चरावे,
इतनी लंबी लाइन लाग गयी,
जमुना के किनारे,
उते बजी कसूती,
बीन राम की सू।

इतने में कृष्ण आ गया,
नंद का दुलारा,
मटकी मेरी फोड़ दी,
यशोदा के लाला ने,
मेरे कपड़े,
छीटम छींट राम की सू,
मैं तो भरन गई थी,
नीर राम की सू,
गंगा जी के घाट,
राम की सू।

कह दीजो उस कृष्ण से,
हमारे से वैर करे कोई न,
जो हमारे से वैर करे तो,
उसकी खैर रहे न ,
रे मै गूजर वो हीर राम की सू।

मैं तो भरन गई थी नीर राम की सू,
गंगा जी के घाट राम की सू,
मैं तो भरन गई थी नीर राम की सू,
गंगा जी के घाट राम की सू।
 


कृष्ण भजन : मैं तो भरन गयी थी नीर (कार्तिक मास स्पेशल मन में बसने वाला मधुर कृष्ण भजन) with lyrics

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