पति प्रेम में उलझ गया मन रुका न रोके से लिरिक्स Pati Prem Me Ulajh Lyrics

पति प्रेम में उलझ गया मन रुका न रोके से लिरिक्स Pati Prem Me Ulajh Lyrics

 
पति प्रेम में उलझ गया मन रुका न रोके से लिरिक्स Pati Prem Me Ulajh Lyrics

पति प्रेम में उलझ गया,
मन रुका ना रोके से,
भरा कमंडल लुढ़क गया,
हाय रे धोखे से,
श्राप मत देना तपधारी,
क्षमा कर देना ब्रह्मचारी।

ओ बेहा बदकार नार हा,
तूने पाप कमाया है,
जल फैलाये दिया मेरा,
तुझे नेक तरस ना आया है,
नालायक चंडी हां बाबा,
तू मद में अंधी हां बाबा,
सुबह होत तेरो पति,
मरैगो काल के धोखे से,
भरा कमंडल लुढ़क गया,
हाय रे धोखे से,
श्राप मत देना तपधारी,
क्षमा कर देना ब्रह्मचारी।

पति परमेश्वर मेरा है,
मैं इसको ना खोने दूगी,
जो मैं असली पतिव्रता,
तो सुबह नहीं होने दूगी,
मैं दावा करती हां बाबा,
मैं वादा करती हा बाबा,
सिंह कभी ना रुक सकता,
गीदड़ के रोके से,
भरा कमंडल लुढ़क गया,
हाय रे धोखे से,
श्राप मत देना तपधारी,
क्षमा कर देना ब्रह्मचारी।

छह महीने के रात हो गई,
तीन लोक थर्राये है,
पतिव्रता के दर्शन करने,
ब्रह्मा विष्णु आये है,
अरे मंदीर मंदीर दीप जले,
सत्यवान के जीने से,
भरा कमंडल लुढ़क गया,
हाय रे धोखे से,
श्राप मत देना तपधारी,
क्षमा कर देना ब्रह्मचारी।
 

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